"वामनावतार": अवतरणों में अंतर

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वामनावतार के रूप में विष्णु ने बली को यह पाठ दिया कि दंभ तथा अहंकार से जीवन में कुछ हासिल नहीं होता है और यह भी कि धन-सम्पदा क्षणभंगुर होती है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु के दिये वरदान के कारण प्रति वर्ष बली धरती पर अवतरित होते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी प्रजा खु़शहाल है।<ref name=trivikrama/>
== रामायण में ==
अध्यात्म रामायण के अनुसार वामनावतारवामन महाबलीभगवान राजा बलि के ग्रहसुतल सुताललोक केमें द्वारपाल बन गये<ref>P. 281 ''The Adhyatma Ramayana: Concise English Version'' By Chandan Lal Dhody </ref><ref> P. 134 ''{{IAST|Srī Rūpa Gosvāmī's Bhakti-rasāmṛta-Sindhuh}}'' By Rūpagosvāmī, Bhakti Hridaya Bon </ref> और सदैव बने रहेंगे।<ref> P. 134 ''Sri Rūpa Gosvāmīs Bhakti-rasāmrta-sindhuh'' By Rūpagosvāmī </ref> [[तुलसीदास]] द्वारा रचित [[रामचरितमानस]] में भी इसका ऐसा ही उल्लेख है।<ref> P. 246 ''Complete Works of Gosvami Tulsidas'' By Satya Prakash Bahadur, Tulasīdāsa </ref>
 
== सन्दर्भ ==