"बज्जिका": अवतरणों में अंतर

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== "बज्जिका" शब्द की व्युत्पत्ति एवं भाषा परिवार ==
 
बज्जिका की प्राचीनता एवं गरिमा वैशाली गणतंत्र के साथ जुड़ी हुई है। लगभग ५००ई.पू. भारत में स्थापित [[वैशाली]] गणराज्य ([[महाजनपद]]) का राज्य-संचालन करने वाले अष्टकुलों- [[लिच्छवी]], वृज्जी ([[वज्जि]]), ज्ञात्रिक, विदेह, उगरा, भोग, इक्ष्वाकु और कौरव- में सबसे प्रधान कुलों बज्जिकुल एवं लिच्छवी द्वारा प्रयोग की जाने वाली बोली बज्जिका कहलाने लगी। राजकाज के लिए उस समय संभवतः [[प्राकृत]] का इस्तेमाल होता था जबकि धार्मिक कृत्य [[संस्कृत]] में होते थे।<ref>[http://books.google.co.in/books?id=OGiFImgzOf0C&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false भारत की भाषाएँ (पृष्ठ १०४), लेखक- डॉ राजमल बोस]</ref> बज्जिका के शब्दों का विस्तार इन दोनों स्रोतों से हुआ है। आजकल इसमें [[उर्दू]] तथा [[अंग्रेजी]] के शब्दों का प्रयोग बढ़ गया है। यह [[हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार]] के अन्दर आती है । ये [[हिन्द ईरानी]] शाखा की [[हिन्द आर्य]] उपशाखा के बिहारी भाषा समूह के अन्तर्गत वर्गीकृत है।
 
== इतिहास एवं भाषा क्षेत्र ==