"गोविन्द शंकर कुरुप": अवतरणों में अंतर
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'''गोविन्द शंकर कुरुप''' या जी शंकर कुरुप([[५ जून]] [[१९०१]]-[[२ फरवरी]] [[१९७८]])<ref>{{cite book |lastश्रोत्रिय |first=डॉ. प्रभाकर|title= ज्ञानपीठ पुरस्कार|year=2005|publisher=भारतीय ज्ञानपीठ|location=नई दिल्ली|id=81-263-1140-1 |page=18 |accessday= 4 |accessmonth= दिसंबर|accessyear= 2008}}</ref> [[मलयालम]] भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म [[केरल]] के एक गाँव [[नायतोट्ट]] में हुआ था। ३ साल की उम्र से उनकी शिक्षा आरंभ हुई। ८ वर्ष तक की आयु में वे 'अमर कोश' 'सिद्धरुपम' 'श्रीरामोदन्तम' आदि ग्रन्थ कंठस्थ कर चुके थे और [[रघुवंश]] महाकाव्य के कई [[श्लोक]] पढ चुके थे। ११ वर्ष की आयु मे महाकवि [[कुंजिकुट्टन]] के गाँव आगमन पर वे कविता की ओर उन्मुख हुये । [[तिरुविल्वमला]] में अध्यापन कार्य करते हुये [[अँग्रेजी]] [[भाषा]] तथा [[साहित्य]] का अध्यन किया। अँग्रेजी साहित्य इनको गीति के आलोक की ओर ले गया। उनकी प्रसिद्ध रचना [[ओटक्कुष़ल]]<ref>{{cite web |url= http://www.pustak.org/bs/home.php?bookid=567|title= ओटक्कुषल्|accessmonthday=[[६ दिसंबर]]|accessyear=[[2008]]|format= पीएचपी|publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>
अर्थात बाँसुरी भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार '''[[ज्ञानपीठ]]''' द्वारा सम्मानित हुई।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2007/04/070407_askus_hercules.shtml|title= पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार किसे दिया गया था|accessmonthday=[[दिसंबर]]|accessyear=[[2008]]|format= पीएचपी|publisher= बीबीसी|language=}}</ref>
== जीवन परिचय ==
नायतोट्ट के सरलजीवी वातावरण में गोविन्द शंकर कुरुप का जन्म शंकर वारियर के घर में हुआ। उनकी माता का नाम लक्ष्मीकुट्टी अम्मा था। बचपन में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण उनका लालन-पालन मामा ने किया। उनके मामा ज्योतिषी और पंडित थे जिसके कारण संस्कृत पढ़ने में उनकी सहज रुचि रही और उन्हें संस्कृत काव्य परंपरा के सुदृढ़ संस्कार मिले। आगे की पढ़ाई के लिए वे [[पेरुमपावूर]] के मिडिल स्कूल में पढ़ने गए।
== प्रकाशित कृतियाँ ==
* '''कविता संग्रह''' - साहित्य कौतुकम् - चार खंड (१९२३-१९२९), सूर्यकांति (१९३२), नवातिथि (१९३५), पूजा पुष्पमा (१९४४), निमिषम्(१९४५), चेंकतिरुकल् मुत्तुकल्(१९४५), वनगायकन् (१९४७), इतलुकल् (१९४८), [[ओटक्कुष़ल्]](१९५०), पथिकंटे पाट्टु(१९५१), अंतर्दाह (१९५५),वेल्लिल्प्परवकल् (१९५५), विश्वदर्शनम् (१९६०), जीवन संगीतम् (१९६४), मून्नरुवियुम् ओरु पुष़युम् (१९६४), पाथेयम् (१९६१), जीयुहे तेरंजेटुत्त कवितकल् (१९७२), मधुरम् सौम्यम् दीप्तम्, वेलिच्चत्तिंटे दूतम्, सान्ध्यरागम्।
* '''निबंध संग्रह''' - गद्योपहारम् (१९४०), लेखमाल(१९४३), राक्कुयिलुकल्, मुत्तुम् चिप्पियुम (१९५९), जी. युटे नोटबुक, जी युटे गद्य लेखनंगल्।
* '''नाटक''' - इरुट्टिनु मुन्पु (१९३५), सान्ध्य (१९४४), आगस्ट १५ (१९५६)।
* '''बाल साहित्य''' - इलम् चंचुकल् (१९५४), ओलप्पीप्पि (१९४४), राधाराणि, जीयुटे बालकवितकाल्।
* '''आत्मकथा''' - ओम्मर्युटे ओलंगलिल् (दो खंड)
* '''अनुवाद''' - अनुवादों में से तीन बांग्ला में से हैं, दो संस्कृत से, एक अँग्रेज़ी के माध्यम से फ़ारसी कृति का और एक इसी माध्यम से दो फ़्रेंच कृतियों के। बांग्ला कृतियाँ हैं- गीतांजलि, एकोत्तरशती, टागोर। संस्कृत की कृतियाँ हैं- मध्यम व्यायोग और मेघदूत, फारसी की रुबाइयात ए उमर ख़ैयाम<ref>{{cite web |url= http://kakesh.com/2007/anuwad_other_language/|title= उमर की रुबाइयों के अनुवाद भारतीय भाषाओं में
|accessmonthday=[[६ दिसंबर]]|accessyear=[[2008]]|format=|publisher= काकेश की कतरनें|language=}}</ref> और फ़्रेंच कृतियों के अंग्रेजी नाम हैं- द ओल्ड मैन हू डज़ नॉट वांट टु डाय, तथा द चाइल्ड व्हिच डज़ नॉट वॉन्ट टु बी बॉर्न।
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