"भारत के महाराज्यपाल": अवतरणों में अंतर

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[[लॉर्ड वैलेस्ली]], जिन्होंने कहा था, कि भारत को एक महल से शासित होना चाहिये, ना कि एक डाक बंगले से; ने एक एक वृहत हवेली बनवायी, जिसे गवर्न्मेंट हाउस कहा गया। यह १७९९-१८०३ के बीच निर्मित हुआ। यह हवेली सन १९१२ तक प्रयोग में रही, जब तक की राजधानी कलकत्ता में रही। फिर राजधानी [[दिल्ली]] स्थानांतरित की गयी। तब बंगाल के लेफ्टि. गवर्नर को गवर्नर का पूर्णाधिकार दिया गया, और गवर्न्मेंट हाउस में आवास दिया गया। अब यही भवन, वर्तमान [[पश्चिम बंगाल]] का राज्यपाल आवास है। इसे अब इसी नाम के हिन्दी रूपान्तर, [[राज भवन (पश्चिम बंगाल)|राज भवन]] कहा जाता है।
 
[[चित्र:India Education India_Education.jpg|thumb|right|200px| १८५४ में, बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने गवर्न्मेंट हाउस में, अपना आवास बनाया। अब बेलवेडेर हाउस में [[भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय]] है।]]
जब राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया, वाइसरॉय ने नव-निर्मित सर [[एड्विन लूट्यन्स]] द्वारा अभिकल्पित, वाइसरॉय हाउस में आवास किया। हालांकि निर्मान १९१२ में आरम्भ हुआ, परन्तु वह १९२९ तक भी पूर्ण ना हो सका; और १९३१ तक भी उसका औपचारिक उद्घाटन नहीं सम्पन्न हो पाया। इसाखी अंतिम लागत पाउण्ड ८,७७,००० (आज के अनुसार साढ़े तीन करोड़ पाउण्ड) थी। वर्तमान में, यह आवास, अपने वर्तमान हिन्दी नाम “[[राष्ट्रपति भवन]]” से प्रसिद्ध है।