"सोनोग्राफी": अवतरणों में अंतर

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'''सोनोग्राफी''' या अल्ट्रासोनोग्राफी, चिकित्सीय [[निदान]] (diagnostics) का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह [[पराश्रव्य ध्वनि]] पर आधारित एक चित्रांकन (इमेजिंग) तकनीक है। चिकित्सा क्षेत्र में इसके कई उपयोग हैं जिसमें से [[गर्भावस्था]] में गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी की प्राप्ति सर्वाधिक जानीमानी है।
 
[[भौतिकी]] में ऐसी तरंगो को पराश्रव्य कहते हैं जो [[मानव]] के कानों से सुनने योग्य आवृति से अधिक की हो। प्राय: २० हजार हर्ट्स से अधिक आवृत्ति की तरंगों को पराश्रव्य कहा जाता है। वास्तव में निदान के लिये प्रयुक्त पराश्रव्य सेंसर प्राय: २ से १८ मेगाहर्ट्स पर काम करते हैं जो कि मानव द्वारा सुनने योग्य आवृत्ति से सैकड़ों गुना अधिक है। अधिक आवृत्ति की पराश्रव्य तरंग कम गहराई तक घुस पाती है लेकिन इससे बना चित्र अधिक स्पष्ट धिक(अधिक रिजोलूशन वाला) होता है।
[[चित्र:3dultrasound.png|thumb|right|२९ सप्ताह के गर्भस्थ शिशु का 3D पराश्रव्य दृश्य]]
 
== सिद्धान्त ==
किसी पराश्रव्य उत्पादक स्रोत ([[ट्रान्सड्यूसर]]) के द्वारा उत्पन्न [[तरंग]] जब शरीर के अन्दर गमन करती है तो शरीर के विभिन्न भाग इसे न्यूनाधिककम या अधिक मात्रा में लौटा देते (परावर्तित/रिफ्लेक्ट) हैं। इन लौटी हुई तरंगों को एक स्कैनर में लिया जाता है जो इन्हें [[विद्युत संकेत|विद्युत संकेतों]] में बदल देता है। फिर ये विद्युत संकेत एक [[संगणक]] (कम्प्यूटर) में जाते हैं जो आवश्यक गणना करके उपयुक्त छवि (इमेज) का निर्माण करता है।
 
== इन्हें भी देखें ==