"भीमबेटका शैलाश्रय": अवतरणों में अंतर
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यहाँ ७५० शैलाश्रय हैं जिनमें ५०० शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। [[पूर्व पाषाण काल]] से [[मध्य ऐतिहासिक काल]] तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।<ref name="इन्क्रेडिबल"/> यह बहुमूल्य धरोहर अब [[भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण|पुरातत्व विभाग]] के संरक्षण में है। भीमबेटका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियाँ मिलती हैं। यहाँ के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं। चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से [[गेरुआ]], [[लाल]] और [[सफेद]] हैं और कहीं-कहीं [[पीला]] और [[हरा]] रंग भी प्रयोग हुआ है।<ref name="भारत"/>
शैलाश्रयों की अंदरूनी सतहों में उत्कीर्ण प्यालेनुमा निशान एक लाख वर्ष पुराने हैं। इन कृतियों में दैनिक जीवन की घटनाओं से लिए गए विषय चित्रित हैं। ये हज़ारों वर्ष पहले का जीवन दर्शाते हैं। यहाँ बनाए गए चित्र मुख्यतः नृत्य, संगीत, आखेट, घोड़ों और हाथियों की सवारी, आभूषणों को सजाने तथा शहद जमा करने के बारे में हैं। इनके अलावा [[बाघ]], [[सिंह]], [[जंगली सुअर]], [[हाथी|हाथियों]], [[कुत्ता|कुत्तों]] और [[घड़ियाल|घडियालों]] जैसे जानवरों को भी इन तस्वीरों में चित्रित किया गया
== निकटवर्ती पुरातात्विक स्थल ==
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