"पुनर्नवा": अवतरणों में अंतर
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==पहचान मतभेद और मिलावट==
[[चित्र:Starr 030523-0114 Boerhavia coccinea.jpg|right|thumb|300px|बोअरहेविआ कोकिनिया]]
पुनर्नवा के नामों के संबंध में भारी मतभेद रहा है। भारत के भिन्न-भिन्न भागों में तीन अलग-अलग प्रकार के पौधे पुनर्नवा नाम से जाने जाते हैं। ये हैं- बोअरहेविया डिफ्यूजा, इरेक्टा तथा रीपेण्डा। आय.सी.एम.आर. के वैज्ञानिकों ने वानस्पतिकी के क्षेत्र में शोधकर 'मेडीसिनल प्लाण्ट्स ऑफ इण्डिया' नामक ग्रंथ में इस विषय पर लिखकर काफी कुछ भ्रम को मिटाया है। उनके अनुसार '''बोअरहेविया डिफ्यूजा''', जिसके पुष्प श्वेत होते हैं, ही
पुष्प पत्रकोण से निकलते हैं, छतरी के आकार के छोटे-छोटे सफेद 5 से 15 की संख्या में होते हैं। फल छोटे होते हैं तथा चिपचिपे बीजों से युक्त होते हैं ये शीतकाल में फलते हैं। पुनर्नवा की जड़ प्रायः 1 फुट तक लंबी, ताजी स्थिति में उँगली के बराबर मोटी गूदेदार व उपमूलों सहित होती है। यह सहज ही बीच से टूट जाती है। गंध उग्र व स्वाद तीखा होती है। उल्टी लाने वाला तिक्त गाढ़ा दूध समान द्रव्य इसमें से तोड़ने पर निकलता है। उपरोक्त गुणों द्वारा सही पौधे की पहचान कर ही प्रयुक्त किया जाता है।
==औषधीय घटक और गुण==
इस औषधि का मुख्य औषधीय घटक एक प्रकार का [[एल्केलायड]] है, जिसे पुनर्नवा कहा गया है। इसकी मात्रा जड़ में लगभग 0.04 प्रतिशत होती है। अन्य एल्केलायड्स की मात्रा लगभग 6.5 प्रतिशत होती है। पुनर्नवा के जल में न घुल पाने वाले भाग में स्टेरॉन पाए गए हैं, जिनमें बीटा-साइटोस्टीराल और एल्फा-टू साईटोस्टीराल प्रमुख है। इसके निष्कर्ष में एक ओषजन युक्त पदार्थ ऐसेण्टाइन भी मिला है। इसके अतिरिक्त कुछ महत्त्वपूर्ण् कार्बनिक अम्ल तथा लवण भी पाए जाते हैं। अम्लों में स्टायरिक तथा पामिटिक अम्ल एवं लवणों में पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट एवं क्लोराइड प्रमुख हैं। इन्हीं के कारण सूक्ष्म स्तर पर कार्य करने की सामर्थ्य बढ़ती है।
== चित्र दीर्घा ==
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