"स्वचालन": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:FANUC R2000iB AtWork.jpg|right|thumb|300px|एक औद्योगिक रोबोट]]
'''स्वयंचालित मशीनें''' (Automatic Machines) ऐसी मशीनें हैं जो मानव प्रयास के बिना भी किसी [[प्रचालन चक्र]] को पूर्णत: या अंशत: संचालित करती हैं। ऐसी मशीनें केवल पेशियों का ही कार्य नहीं करतीं वरन् मस्तिष्क का कार्य भी करती हैं। स्वयंचालित मशीनें पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वयंचालित हो सकती हैं। ये निम्नलिखित प्रकार का कार्य कर सकती हैं :
:1. माल तैयार करना
:2. माल को सँभालना
:3. माल का निरीक्षण करना
:4. माल का संग्रह करना
:5. माल को पैक करना
== लाभ ==
स्वयंचालित मशीनों के लाभ ये हैं :
:1. श्रम की लागत की कमी,
:2. उत्पादन समय में कमी अर्थात् नियमित समय में अधिक उत्पादन करना,
:3. प्रचालक की आवश्यक कुशलता में कमी का होना,
:4. तैयार माल के गुणों में सुधार,
:5. अदल बदल में उत्कृष्टता,
:6. प्रचालन श्रांति में कमी का होना, तथा
:7. औजारों और उनकी व्यवस्था में कमी का होना।
इन लाभों के कारण जहाँ पहले केवल मनुष्यों से काम लिया जाता था, जैसे कार्यालयों, गृह और सड़क के निर्माणों, [[खनन]], [[कृषि]] और कृषि के अन्य कामकाजों तथा अनेक उद्योग धंधों में वहाँ अब स्वयंचालित मशीनें पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कार्य कर रही हैं।
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किसी संयंत्र में कितना स्वचालित अंश होगा, यह लागत, प्राप्यता और अन्य प्रतिबंधों (limitations) पर निर्भर करता है। किसी संयंत्र के समस्त भागों को या संयंत्र के किसी एक भाग को या किसी संयंत्र की अनेक मशीनों या विभागों को स्वयंचालित रखना संभाव्य और व्यावहारिक हो सकता है। कुछ संयंत्र ऐसे हो सकते हैं कि उनका कुछ अंश ही स्वयंचालित रखना व्यावहारिक हो सकता है। कुछ स्वयंचालित रखना व्यावहारिक हो सकता है। कुछ संयंत्र ऐसे हो सकते हैं कि उनका कुछ अंश ही स्वयंचालित रखना व्यावहारिक हो सकता है। कुछ स्वयंचालित मशीनों के उदाहरण निम्नलिखित हैं :
*1. '''पैक करने की मशीन''' - कारखाने के तैयार माल को पैक करने की अनेक स्वयंचालित मशीनें आज मिलती हैं। तैयार माल लपेटने के कागज, दफ्ती के डिब्बे आदि आवश्यक पदार्थ परिचालक द्वारा मशीन में डाल दिए जाते हैं और कागज के लपेटने, डिब्बे में भरने आदि पैक करने का सारा काम मशीन द्वारा ही होता है। यदि आवश्यक हो तो डिब्बे या खोल में रखी वस्तुओं की गिनती या भार नियंत्रित करने की भी व्यवस्था रहती है, जैसे सिगरेट बक्स में सिगरेट की संख्या, दियासलाई की डिबियों में लकड़ी की संख्या, टॉफी डिब्बे में टॉफी की संख्या इत्यादि।
*2. '''बोतल भरने की मशीन''' - ऐसे अनेक प्रकार की मशीनें बनी हैं। इनमें बोतलों की सफाई, वांछित द्रवों (शर्बत, तेल, फलरस, [[शराब]] आदि) से भराई और मुहरलगाई आदि सब कार्य स्वत: होते हैं।
*3. '''डिब्बाबंदी मंशीन''' - खाद्य या अन्य पदार्थों को डिब्बे में बंद करने का समस्त कार्य आज स्वयंचालित मशीनों द्वारा होता है। इसमें वांछित पदार्थों को डिब्बे में भरना, मोहर लगाना और पैक करना सब सम्मिलित है।
*4. '''कार्यालय मशीन''' - आधुनिक कार्यालयों में काम करनेवाली अनेक स्वयंचालित मशीनें - लिखने की, पुनरुत्पादन की, पंजीकृत करने की, गणना करने की, संगणक आदि बनी हैं। इन मशीनों में नकद कारबार का अंकन भी होता है, पुर्जे छप जाते हैं, रुपया निकालने का काम भी होता है। संगणक में सामान्य जोड़ने घटाने के अतिरिक्त अनेक पेचीदी गणनाओं का हल भी निकल आता है। संगणक अनेक काम कर सकते हैं।
इनके अतिरिक्त सूत कातने, कपड़ा बुनने, फसल काटने और तौलने आदि की भी स्वयंचालित मशीनें बनी हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के उद्योग-धंधों में काम आनेवाली जो अनेक प्रकार की विशिष्ट मशीनें आज बनी हैं।
*5. '''धातु शिल्प उद्योगों में काम आनेवाली स्वयंचालित मशीनें''' - गुल्लियाँ और साँचे पहले जहाँ हाथों से बनते थे वहाँ वे अब मशीनों से बनने लगे है। तार खींचना, बहिर्वेधन (extrusions) आदि सब काम स्वयंचालित मशीनों से होते हैं। धातु की चादरें, डाई आदि बड़ी मात्रा में बनते और संपीडित वायु द्वारा बाहर निकाल फेंके जाते हैं।
मशीनी औजारों में स्वचालन का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। इनसे लागत में बहुत कमी होती है।
*6. '''खराद और पेंच मशीन''' - इनका उपयोग छड़ या चक्का (Chuck) बनाने में होता है। चक्का बनाने में हाथ से पदार्थ डाला जाता है तथा काम आरंभ होता है और विभिन्न सरकों (Slides) की गति स्वयंचालित होती एवं चाल और भरण स्वत: नियंत्रित होता है। लादने और उतारने को छोड़कर अन्य सब कार्यों के चक्र स्वयंचालित होते हैं।
दूसरे प्रकार के औजार में मशीन में छड़ का भरण होता और समस्त चक्र तब तक स्वयंचालित होता है जब तक समान छड़ खत्म नहीं हो जाता। अब नवीन छड़ डालकर चक्र पुन: चालित होता है।
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स्वयंचालित [[मशीनी औजार|मशीनी औजारों]] के अन्य उदाहरण हैं - पेषण चक्की, गियर काटने की मशीन, [[मिलिंग मशीन]], छेदने की मशीन इत्यादि।
*7. '''प्रतिलिपि मशीन''' (प्रतिलिपित्र) - खराद और पेषण के लिए यदि परिचालन को बार-बार करवा पड़ता है, तो यह कार्य परिचालक के लिए बहुत थकानेवाला और उकतानेवाला होता है। ऐसे स्थान में प्रतिलिपि का वैसा ही नमूना प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग बहुत सामान्य हो गया है और इसमें पदार्थ की बड़ी यथार्थ प्रतिलिपि प्राप्त होती है।
रूपद (Template) के संसर्ग में कंटिका (Stylus) मशीन स्लाइडों को चालू करता है और औजार वांछित मार्ग का अनुसरण करते हुए समोच्च रेखा (Contour) का पुनरुत्पादन करते हैं। कंटिका उन वैद्युतीय या द्रवचालित युक्तियों (Hydraulic devices) को प्रचालित (operate) कर सकती है जो मशीन स्लाइडों को चलानेवाली मोटरों को नियंत्रित करती है।
*8. '''स्थानांतरण मशीन''' - ये पूर्ण स्वचालन मात्रा (Degree of automation) की विशिष्ट मशीनें हैं। इनकी समाकलिक (integrated) उत्पादनरेखा में स्वयंचालित मशीनों के साथ स्थान-स्थान से सरल रेखा में सूचक (Indexing) अथवा स्थायक (Fixtured) भागों का संयोजन (Combination) उत्पादनदर बहुत अधिक है और व्यवहारत: वर्क पीस (Work piece) तलों की संख्या की कोई सीमा नहीं है, जिन्हें मशीनित किया जा सकता है। क्योंकि युक्तियाँ मशीनगत प्रचालनों को पूर्ण करने के लिए अभिविन्यस्त (Orienting) या वर्क पोसां को निकालने के लिए अपनाई जा सकती हैं। ये मशीनें प्राय: द्रवचालन से संचालित होती हैं अथवा वैद्युतीय विधि से नियंत्रित होती हैं।
स्थानांतरण मशीनों का प्रमापन - मशीन चलते समय विशिष्ट मशीनों में यथार्थता का निर्दिष्ट नियंत्रण वांछित है। चूँकि बहुत से प्रचालन होते हैं अत: स्थानांतरण मशीनों में कुछ अंतर्प्रक्रम और बहिर्प्रक्रम प्रमापन प्रविधियों का उपयोग होता है। ढली हुई वस्तुओं और [[मशीनित तलों]] (machined surfaces) की जाँच तथा विभिन्न भागों की स्वत: अस्वीकृति भी रहती है।
*9. '''संख्यात्मक रूप से नियंत्रित मशीन औजार''' - ऐसी मशीनों में मशीन स्लाइडों के स्थिर गुटका सेटिंग (manual setting) स्वचालित सेटिंग से बदल (Replace) दी जाती हैं। मशीन स्लाइड की गति नियंत्रित करनेवाली "हाथ चक्र" नियमन मोटर (Servomotor) से बदल दी जाती है। मशीन पर निर्देश छिद्रित पत्रक (punched cards) या टेप (फीता) या चुंबकीय टेप द्वारा संकेतों में लिखे रहते हैं। ये आदेश वैद्युतीय संकेतों में बदल कर नियंत्रक इकाई द्वारा सर्वोमोटर तक पहुँचा दिए जाते हैं। सर्वोमोटर इस इकाई से संकेत पाने पर संकेत द्वारा निर्देशित मात्रा और दिशा में अपने नियंत्रणाधीन स्वनियंत्रित मशीन स्लाइडों को घुमा देता है। मशीन की यह प्रणाली तुलना की जानेवाली सारणियों (tables) की हर समय की वास्तविक आदेश स्थिति को बताती है और आवश्यक संशोधन स्वयं हो जाते हैं। एकत्रित संख्यात्मक आँकड़े मशीन औजारों के लिए कई दृष्टियों से लाभप्रद हैं :
:(1) तेज उत्पादन दर,
:(2) जिग्स (Jigs), फिक्सचर्स (Fixtures), टेंपलेट और प्रतिरूप (model) का निराकरण,
:(3) आर्थिक व्यापारिक निर्माण,
:(4) स्थापन (Set up) के समय और चक्र (Cycle) के समय में कमी तथा
:(5) अल्प खुरच (Scrap), क्योंकि मानवीय त्रुटियों का लगभग निराकरण हो जाता है।
संख्यात्मक नियंत्रण के लिए जो मशीन औजार लिए गए हैं वे ये हैं - जिग वेधन मशीनें, पेषण तथा खराद मशीनें।
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== स्वयंचालित मशीनों पर नियंत्रण के प्रकार ==
*(1) '''यांत्रिक युक्तियाँ''' - गीयर, लीवर, पेंच, कैम (Cams) तथा ग्राम (Clutches) हैं।
मशीन के विभिन्न प्रचालनों के नियंत्रणार्थ ये युक्तियाँ सरलतम तथा सामान्य हैं। ये स्वयंचालित भरण (feeding) में तथा दाबयंत्र (Presses) और पेंचमशीनों के विभिन्न पुर्जों के हटाने में भी प्रयुक्त होती हैं। कैम विभिन्न स्लाडडों की गति को नियंत्रित करते हैं तथा स्वयंचालित खराद मशीनों का संभरण करते तथा उन्हें गति प्रदान करते हैं।
*(2) '''द्रवचालित युक्तियाँ''' - विभिन्न मशीन स्लाइडों का स्वचालित संचालन किसी बेलन के भीतर कार्य कर रहे तेल-दाब से होता है।
== अनुरेखक नियंत्रण ==
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प्रतिलिपि विधि में, जैसा ऊपर कहा गया है, टेंपलेट या प्रतिरूप का उत्पादन आवश्यक है जो स्वयं में कठिनाइयों और विलंब प्रस्तुत कर सकता है। इलेक्ट्रानीय नियंत्रण, टेंपलेट या प्रतिरूप के प्रयोग का निराकरण करता है तथा चुंबकीय और छिद्रित (Perforated) टेप द्वारा संचित सूचनाओं से विभिन्न भागों का यथार्थता से पुनरुत्पादन होता है। टेप पर अंकित सूचना की व्याख्या के तथा उचित समय पर m/c को संकेत भेजने के लिए उपयुक्त उपस्कर (equipment) की आवश्यकता होती है। ये संकेत m/c पर एक नियंत्रक युक्ति द्वारा ग्रहण किए जाते हैं जो m/c को आदेश पालन कराते हैं। m/c औजारों के संख्यात्मक नियंत्रण के दो प्रमुख वर्ग हैं :
*(
*(
इन दोनों प्रणालियों में कुछ बुनियादी साम्य हैं जिनमें 4 तत्व मुख्य हैं-
:1. निविष्ट (In put) युक्ति
:2. मापन▼
:3. तुलना▼
▲2. मापन
▲3. तुलना
▲4. सर्वोस (Servos) की स्थिति
मशीनिंग के लिए पूरी सूचना "प्रक्रम इंजीनियर" द्वारा तैयार की जाती है ताकि मशीन की सभी गतियाँ पूर्व निर्धारित रहें मशीन परिचर (attendant) पर आश्रित न हो।
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इसमें निम्न सोपान हैं-
*1. सभी यांत्रिक विवरणों को ज्ञात करना - यथा, कर्तक का प्रकार, कर्तन का क्रम (Order) और कर्तनों को संख्या।
*2. उपयुक्त दत्त (Datum) से सभी प्रमुख विमाओं का परिकलन (calculation)
द्विविम नियंत्रण हेतु सभी बिंदुओं के और निर्देशांकों (Coordinates) की गणना चुने हुए दत्त से कर ली जाती है। यह पार्ट (Part) के ब्लू पिं्रट (Blue print) से प्राप्त होता है।
*3. कार्यक्रम निर्धारण - मशीनिंग के लिए विस्तृत निर्देश अंकों और शब्दों का प्रयोग कर संकेतों (Codes) में तैयार किए जाते हैं।
कर्तक के व्यास, कर्तक-भरण-दर और नियंत्रण दर आदि की रचना के लिए संकेत प्रयुक्त होते हैं।
*4. ये निर्देश विशिष्ट भाषा में कार्डों पर छिद्रित होते हैं। ये छिद्रित कार्ड एक परिकलन यंत्र (Computer) में छोड़े जाते हैं जो कागज के टेप पर बने छिद्रित छेदों में विशिष्ट भाषा का अनुवाद कर देते हैं। यदि बीच की स्थितियों की सूचना की आवश्यकता पड़ती है तो टेप, परिकलनयंत्र पर लगा दिया जाता है जो कर्तक की निर्देशांक स्थिति को गणना कर देता है, वह फिर चुंबकीय टेप पर लपेट दिया जाता है जिसका उपयोग निविष्ट माध्यम की तरह थ्र्/ड़ औजार नियंत्रक ईकाई के लिए किया जाता है।
*5. टेप पाठ्यांक सिरे पर लगाते है जो नियंत्रण इकाई का नियंत्रक को निर्देश भेजता है और बाद में मशीन स्लाइडों को नियंत्रित करता है। वही टेप बार बार प्रयुक्त हो सकता है और इस प्रकार चक्र (cycle) की पुनरावृत्ति होती रहती है।
== प्रति संभरण (Feed back) ==
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मशीन औजारों के प्रयुक्त होने पर संख्यात्मक नियंत्रण, सभी कर्तक चालों, पूर्ण पथ, वर्क पीस के सापेक्ष कर्तक की संभरण दर तथा अन्य सहायक फलन (auxiliary function) यथा खरादन, कर्तन, तरल जोड़तोड़ (on and off) आदि के नियंत्रण हेतु, कार्य करता है।
==इन्हें भी देखें==
*[[स्वतः नियंत्रण]] (आटोमटिक कन्ट्रोल)
== बहरी कड़ियाँ ==
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