"मार्कण्डेय पुराण": अवतरणों में अंतर
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'''मार्कण्डेय पुराण''' प्राचीनतम [[पुराण|पुराणों]] में से एक है। यह लोकप्रिय पुराण मार्कण्डेय ऋषि ने क्रौष्ठिक को सुनाया था। इसमें [[ऋग्वेद]] की भांति अग्नि, इन्द्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म आदि की चर्चा है। भगवती की विस्तृत महिमा का परिचय देने वाले इस पुराण में [[दुर्गासप्तशती]] की कथा एवं माहात्म्य, [[हरिश्चन्द्र]] की कथा, [[मदालसा]]-चरित्र, [[अत्रि]]-[[अनसूया]] की कथा, [[दत्तात्रेय]]-चरित्र आदि अनेक सुन्दर कथाओं का विस्तृत वर्णन है। <ref>[http://www.gitapress.org/hindi गीताप्रेस डाट काम]</ref>
== विस्तार ==
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==संक्षिप्त परिचय==
इस पुराण के अन्दर पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है। मार्कण्डेय पुराण में पहले मार्कण्डेयजी के समीप जैमिनि का प्रवचन है। फ़िर धर्म संज्ञम पक्षियों की कथा कही गयी है। फ़िर उनके पूर्व जन्म की कथा और देवराज इन्द्र के कारण उन्हे शापरूप विकार की प्राप्ति का कथन है, तदनन्तर बलभद्रजी की तीर्थ यात्रा, द्रौपदी के पांचों पुत्रों की कथा, राजा हरिश्चन्द्र की पुण्यमयी कथा, आडी और बक पक्षियों का युद्ध, पिता और पुत्र का आख्यान, दत्तात्रेयजी की कथा, महान आख्यान सहित हैहय चरित्र, अलर्क चरित्र, मदालसा की कथा, नौ प्रकार की सृष्टि का पुण्यमयी वर्णन, कल्पान्तकाल का निर्देश, यक्ष-सृष्टि निरूपण, रुद्र आदि की सृष्टि, द्वीपचर्या का वर्णन, मनुओं की अनेक पापनाशक कथाओं का कीर्तन और उन्ही मे दुर्गाजी की अत्यन्त पुण्यदायिनी कथा
== संदर्भ ==
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