"अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Atomic resolution Au100.JPG|250px|thumb|स्वच्छ [[सुवर्ण|स्वर्ण]] का प्रतिबिंब[[Miller index|(100)]]]]
आणुविक स्तर पर सतहों को देखने के लिये '''अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र''' (अंगरेजी में= Scanning Tunneling Microscope(STM)) एक शक्तिशाली तकनीक है। सन १९८१ में [[गर्ड बिन्निग]] और [[हैन्रिक रोह्रर]] ([[आई बी एम]] [[ज़्यूरिख़]]) ने इसका आविष्कार किया जिसके लिये सन १९८६ में इन्हे [[भौतिकी]] का [[नोबेल पुरस्कार]] दिया गया।<ref name="Binnig"> G. Binnig, H. Rohrer “अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र” आई बी एम जर्नल ऑफ रिसर्च एन्ड डेवलपमेन्ट '''30''',4 (1986) पुनः प्रकाशित 44,½ Jan/Mar (2000)</ref> यह यंत्र टनलिंग धारा के मापन के आधार पर पदार्थ के [[अवस्था घनत्व]] को परखता है। यह 0.1 [[नैनो]]मीटर की चौडाई और 0.01 नैनोमीटर की गहराई तक
यह [[सूक्ष्मदर्शी यंत्र]] [[प्रमात्रा टनलिंग|<span title="Quantum tunneling">प्रमात्रा टनलिंग</span>]] के सिद्धांत पर आधारित है। किसी [[धातु]] या [[अर्धचालक भौतिकी|अर्धचालक]] की सतह के बहुत पास जब किसी चालक नोक को लाया जाता है, तो इस निर्वात अन्तराल में [[इलेक्ट्रॉन]] के बहनें के लिये एक सुरंग (या टनल) बन जाता है। निम्न वोल्टता में इलेक्ट्रॉन की धारा का व्यवहार [[फर्मी]] स्तर, ''E''<sub>f</sub>, पर नमूने के 'अवस्था के घनत्व' पर निर्भर करता है।<ref name="Chen"/>. इलेक्ट्रॉन धार के घटबढ़ से प्रतिबिंब बनाया जाता है।
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== टनलिंग ==
[[प्रमात्रा टनलिंग|<span title="Quantum Tunneling">टनलिंग</span>]] सिद्धांत का जन्म [[प्रमात्रा यांत्रिकी|<span title="Quantum Mechanics">प्रमात्रा यांत्रिकी</span>]] से होता है। [[उदात्त यांत्रिकी|<span title="Classical Mechanics">उदात्त यांत्रिकी</span>]] के तहत, यदि एक वस्तु एक दिवार से
टनलिंग का गणित [[प्रमात्रा टनलिंग|<span title="Quantum Tunneling">प्रमात्रा टनलिंग</span>]] में पढें।
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== प्रक्रिया ==
नोक को नमूने के समीप लाया जाता है, ताकि यह दूरी तकरीबन 4-7 [[ऐंगस्ट्रॉम|Ǻ]] हो, जो आकर्षक (3 से 10Ǻ तक) और विकर्षक (3Ǻ से कम) दूरियों के बीच सन्तुलन की स्थिति होती है।<ref name="Chen"/> टनल (या प्रमात्रा सुरंग) के बनने के
स्थिरांक धारा प्रणाली में पैजो़विद्युत की सहायता से दूरी का नियन्त्र किया जाता है ताकि धारा में बदलाव ना आये।<ref name="Oura">K. Oura, V. G. Lifshits, A. A. Saranin, A. V. Zotov, and M. Katayama ''सतह विज्ञानः भूमिका'' Springer-Verlag Berlin (2003)</ref><ref name="Bonnell">D. A. Bonnell and B. D. Huey “अवलोकन अन्वेषिका सूक्ष्मदर्शी यंत्र के मूल सिद्धांत” पुस्तकः ''अवलोकन अन्वेषिका सूक्ष्मदर्शी यंत्र और वर्णक्रम मापन: सिद्धांत, तकनीक और प्रयोग'' 2nd edition Ed. By D. A. Bonnell Wiley-VCH, Inc. New York (2001)</ref> स्थिरांक दूरी प्रणाली का फायदा यह है कि यह ज्यादा सम्वेदनशील होता है, क्योंकि इसमें स्थिरांक धारा प्रणाली की तुलना में पैजो़विद्युत दूरी
<!--In addition to scanning across the sample, information on the electronic structure of the sample can be obtained by sweeping voltage and measuring current at a specific location<ref name="Bai"/>. This type of measurement is called [[scanning tunneling spectroscopy]] (STS).-->
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एक और उपयोग है नोक के सहारे सतह को बदलने का। इसका फायदा यह है कि सतह को पहले नोक से अत्यन्त ही सूक्ष्म स्तर पर बदला जा सकता है, और फिर उसी नोक
[[आई बी एम]] के वैज्ञानिकों ने [[जेनन]] अणुओं से [[अधिशोषण|<span title="adsorb">अधिशोषित</span>]] [[निकेल]]<ref name="Bai"/> के सतह का प्रयोग किया है [[अश्मलेखन|<span title="lithography">अश्मलेखन</span>]] के लिये, जो [[इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन|<span title="electron beam lithography">इलेक्ट्रॉन किरण अश्मलेखन</span>]] से
हाल के अनुसंधान में पाया गया है कि अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र की सहायता से अणुविकाओं के अन्दर एकल बन्ध को बदला जा सकता है। आणुविक स्तर पर ऐसे [[वैद्युत प्रतिरोध|<span title="electric resistance">वैद्युत प्रतिरोधन</span>]] का प्रयोग एक
== पूर्व आविष्कार ==
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