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'''भारामलभारमल''', राजा पृथ्वीराज कछवाहा के पुत्र। इतिहासकार 'टॉड' ने बिहारीमल नाम दिया है। ये [[अजमेर]] के पास [[आमेर]] के शासक थे। [[अकबर]] की अधीनता स्वीकार करनेवाले राजपूत राजाओं में ये सर्वप्रथम थे। इन्होंने हाजी खाँ विद्रोही के विरुद्ध मजनूँ खाँ की सहायता की थी, इसलिये मजनूँ खाँ ने मुगल सम्राट् अकबर से इन्हें दरबार में बुलवाने की प्रार्थना की। पहली भेंट में ही इनका बादशाह पर अच्छा प्रभाव पड़ा और इनहें अकबर की सेवा का अवसर मिला। बाद में इनका भाई रूपसी भी मुगल सम्राट् की सेवा में उपस्थित हुआ। इन्होंने अपनी पुत्री का विवाह सम्राट् अकबर से कर दिया। इनके पुत्र भगवान्‌दास और पौत्र कुँवर मान सिंह भी बाद में अकबर के दरबार में पहुँच गए। सन्‌ 1569 के लगभग भारामलभारमल की मृत्यु हुई।
 
[[श्रेणी:भारतीय राजा]]
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