"मिश्रातु": अवतरणों में अंतर

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=== ठोस विलयन ===
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इस प्रकार की मिश्रधातुओं में एक अवयव धातु के परमाणु दूसरी अवयव धातु के क्रिस्टलीय ढाँचे (crystalline lattice) में भली-भाँति बैठ जाते हैं। ठोस विलयन श्रेणी की मिश्रधातुएँ दो भिन्न प्रकार की होती है:
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*'''(क) प्रतिस्थापित ठोस विलयन''' वे होते हैं, जिनमें एक तत्व के परमाणु दूसरे तत्व के क्रिस्टलीय ढाँचे में उन्हीं स्थानों को ग्रहण करते हैं जहाँ पर उनके पहले दूसरे तत्व के परमाणु स्थित थे। इस प्रकार की ठोस विलेयता दोनों तत्वों के परमाणुओं के अर्द्धव्यास सर्वसम (identical), या लगभग समान हों, तो ठोस विलेयता पूर्ण रूप से होगी। उदाहरणार्थ, ताँबे के परमाणु का अर्द्धव्यास 12.75 नैनोमीटर तथा निकल के परमाणु का अर्द्धव्यास 12.43 नैनोमीटर का होता है, अत: इनकी मिश्रधातु में ठोस विलेयता पूर्ण रूप से होगी। अगर अर्द्धव्यासों में अधिक अंतर हो, जैसे [[टिन]] और [[सीसा|सीसे]] के परमाणुओं का अर्द्धव्यास क्रमश: 15.0 नैनोमीटर तथा 17.46 नैनोमीटर है, तो केवल सीमित ठोस विलेयता होगी। अगर दोनों धातुओं के ऋणविद्युती अंतर (electronegative difference) में कमी हो, तो इस प्रकार की ठोस विलेयता और भी अच्छी तरह से होगी।
 
*'''() अंतराकाशी (interstitial) मध्य ठोस विलयन'''-इस प्रकार की मिश्रधातुओं में अधातु तत्त्व, जैसे हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन और बोरॉन के लघु परमाणु धातु के क्रिस्टलीय ढाँचे के मध्यस्थानों में अपना स्थान बनाते हैं। साधारणत: इससे धातु की रचना में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता है, केवल उसमें थोड़ी सी विकृति (distortion) आ जाती है। हॉग (Hogg) के अनुसार अंतराकाशी मध्य ठोस विलयन तभी बनेंगे, जब अधातु और धातु के परमाणुओं के अर्द्धव्यासों का अनुपात 0.59 से कम हो।
 
*'''() प्रतिस्थापित ठोस विलयन''' वे होते हैं, जिनमें एक तत्व के परमाणु दूसरे तत्व के क्रिस्टलीय ढाँचे में उन्हीं स्थानों को ग्रहण करते हैं जहाँ पर उनके पहले दूसरे तत्व के परमाणु स्थित थे। इस प्रकार की ठोस विलेयता दोनों तत्वों के परमाणुओं के अर्द्धव्यास सर्वसम (identical), या लगभग समान हों, तो ठोस विलेयता पूर्ण रूप से होगी। उदाहरणार्थ, ताँबे के परमाणु का अर्द्धव्यास 12.75 नैनोमीटर तथा निकल के परमाणु का अर्द्धव्यास 12.43 नैनोमीटर का होता है, अत: इनकी मिश्रधातु में ठोस विलेयता पूर्ण रूप से होगी। अगर अर्द्धव्यासों में अधिक अंतर हो, जैसे [[टिन]] और [[सीसा|सीसे]] के परमाणुओं का अर्द्धव्यास क्रमश: 15.0 नैनोमीटर तथा 17.46 नैनोमीटर है, तो केवल सीमित ठोस विलेयता होगी। अगर दोनों धातुओं के ऋणविद्युती अंतर (electronegative difference) में कमी हो, तो इस प्रकार की ठोस विलेयता और भी अच्छी तरह से होगी।
[[Image:Alliage ordonne desordonne.png]]
 
'''ताँबा-निकल की अनेक मिश्रधातुएँ''' जिनका महत्वपूर्ण उपयोग है, ठोस विलयन की श्रेणी में आती हैं। उदाहरणार्थ, वे मिश्रधातुएँ जिनसे निकल के सिक्के, राइफल की गोलियों की टोपियाँ और एक तार जिसका वैद्युत प्रतिरोध अधिक होता है, बनता है। कनाडा के बहुत से खनिजों में ताँबा और निकल के सल्फाइड होते हैं, जिनको गलाने से एक मिश्रधातु मिलती है। इसमें निकल और ताँबा क्रमश: 67 और 28 प्रतिशत तथा शेष पाँच प्रतिशत में लोहा और मैंगनीज़ होते हैं। इस मिश्रधातु को [[मोनेल]] (Monel) धातु कहते हैं। यह अधिक तन्य, लचीली तथा संक्षारण प्रतिरोधक होती है।
 
=== अंतराधातुक यौगिक (Intermetallic compound) ===