"विकास प्रशासन": अवतरणों में अंतर
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'''विकास प्रशासन''' (Development Administration) का अर्थ विकास से सम्बन्धित [[प्रशासन]] से लिया जाता है। यह सरकार द्वारा योजनाबद्ध
==परिचय==
विकास प्रशासन की अवधारणा विकासशील देशों में लोकप्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन की सह-उपज है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1995 में यू0 एल0 गोस्वामी ने किया था परन्तु इसे औपचारिक मान्यता उस समय प्राप्त हुई जब [[अमेरिकन लोक प्रशासन समिति]] के तुलनात्मक प्रशासन समूह एवं [[सामाजिक विज्ञान शोध परिषद]] की तुलनात्मक राजनीति समिति ने इसको बौद्धिक आधार प्रदान किया। इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाने में फ्रेड डब्ल्यू0 रिग्स, एडवर्ड डब्ल्यू0 वीडनर, जोसेफ लॉ0 पोलोमबार, अल्बर्ट वाटरसन आदि के नाम प्रमुख हैं।
विकास प्रशासन की अवधारण एशिया, अफ्रीका, एवं लेटिन अमेरिका के दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् हुए स्वतंत्र देशों के लिए अर्थपूर्ण है। अपने औपनिवेशिक शासकों से स्वतन्त्रता प्राप्त करने के उपरांत इन देशों में अविकसित अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था की ओर जाने के प्रयास आरम्भ किये गए। विकास के क्रम से गुजरते हुए इन देशों को विकासशील देश कहा गया जिनके सम्मुख विकास सम्बन्धी अनेक समस्याएँ थी। उनका प्रमुख कार्य नियोजित परिवर्तन द्वारा सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाना था। परम्परागत लोक प्रशासन, प्रशासन प्रणाली के सुधार से संबंधित था अतएव [[लोक प्रशासन]] के एक नये स्वरूप को विकसित करने की आवश्यकता अनुभव की गई जो विकासशील देशों की सामाजिक-आर्थिक एवं प्रशासनीय समस्याओं के अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित करेगा। इस प्रकार, विकास प्रशासन के विचार को संकल्पना की गई।
==उदय के कारण==
(१) सन् 1950 और 1960 के दशकों के दौरान लोक प्रशासन के विद्वानों ने लोक प्रशासन के पारंपरिक दृष्टिकोणों
(२) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अनेक अफ्रीकी और एशियाई देश स्वतंत्र हो गए और वे सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक विकास के विभिन्न चरणों में थे। चूंकि इन देशों का प्रशासन अनिवार्यतः विकास उन्मुख था। अतः विद्वानों में इन देशों के प्रशासन का अध्ययन करने की उत्सुकता पनपी। उनका अध्ययन वस्तुतः विकास प्रशासन का अध्ययन बन गया।
(३) [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के बाद के युग में संयुक्त राष्ट्र संघ की कई एजेंसियाँ एवं संयुक्त राज्य अमेरिका और [[सोवियत संघ]] की सरकारें इन नए उभरते राष्ट्र राज्यों को भरपूर तकनीकी सहायता देने मे जुट गई। अमरीका और सोवियत संघ द्वारा इन देशों को ऐसी सहायता देने का प्रयोजन संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी-अपनी ओर उनका
(३) विकास प्रशासन की उत्पत्ति अमरीकी व्यवहारपूरक विज्ञानों से हुई है।
(५) तीसरे विश्व के देशों मे समय और प्राकृतिक संसाधनों की काफी कमी थी जबकि उनकी आवश्यकता तुरंत और तीव्र सामाजिक आर्थिक विकास की थी। ये लक्ष्य निष्क्रिय प्रशासन की सहायता से नहीं प्राप्त किए जा सकते थे जो बंद और यथास्थितिवादी था। अतः एक ऐसे प्रशासन तंत्र की आवश्यकता महसूस की गई जो विकसित देशों के प्रशासनिक ढाँचे से भिन्न हो और इस प्रकार विकास प्रशासन की संकल्पना का आविर्भाव हुआ।
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* यह पिछड़े समाज के परिवर्तन, आधुनिकीकरण और विकास के लिए शासन-तन्त्र है।
तदपि परम्परागत प्रशासन एवं विकास प्रशासन के मध्य मुख्य विभेदक
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