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[[File:Vidyadhar Garden in Jaipur.jpg|thumb|जयपुर नगर के प्रधान वास्तुविद विद्याधर की स्मृति में जयपुर आगरा मार्ग पर निर्मित मुग़ल उद्यान शैली का उद्यान [[विद्याधर का बाग़ ]]]]
==सम्मान-पुरस्कार और स्मृति-चिन्ह ==
सन १७२७ में जयगढ़( देखें चित्र) पूरा होने पर इन्हें 'सिरोपाव'सम्मान मिला, १७३४ में चन्द्रमहल बनवाने पर पुनः सिरोपाव, और सन १७३५ में झोटवाडा के पास 'दर्भावती नदी' | 'द्रयावती' (बांडी नदी) कासे नहर बनवा कर उसका पानी जयपुर शहर में लाने पर एक बड़ा राजसम्मान मिला.'सिरोपाव' मिला|
इसी बारे में [[यदुनाथ सरकार]] ने अपनी पुस्तक' [[जयपुर का इतिहास]]' ('हिस्ट्री ऑफ़ जयपुर') के पृष्ठ १९६ पर लिखा है-" जैसा जयपुर राज्य के कागजात (अभिलेख) से ज़ाहिर है, विद्याधर का सम्मान और ओहदा एक वास्तुविद के रूप में जयपुर -सरकार में निश्चित रूप से ऊंचा था| सन १७२९ ईस्वी में उन्हें 'देश-दीवान' पद पर पदोन्नत किया गया, सन १७३४ में 'सात-मंजिल के 'राजमहल' को शीघ्र पूरा करवाने' और वर्ष १७३५ में 'द्रयावती' नदी का पानी जयपुर में लाने' के उपलक्ष्य में के लिए राज्य से सम्मानित किया गया| इस बात की पुष्टि भी जयपुर अभिलेखों से होती है- उन्हें इसके अलावा भी अनेक सम्मान और पुरस्कार मिले जिनमें २३ फरवरी १७५१ को उन्हें एक हाथी भेंट किये जाने का (लिखित) प्रमाण भी शामिल है|..."<ref>4.Jadunath Sarkar: "A history of Jaipur': Orient Black Swan:Hyderabad: 2011 Reprint: ISBN 978 81 250 3691 3</ref>
 
आजजिस यकीननशहर का नक्शा ऐसे गुणवान नगर-नियोजक ने बनाया था, आज उस जयपुर में उन्हीं वास्तुविद [[विद्याधर]] के कोई वंशज नहीं रहतेहैं, पर जयपुर-आगरा महामार्ग पर 'घाट की घूनी' में बनाया गया मुग़लों की 'चारबाग' शैली पर आधारित एक सुन्दर उद्यान '[[विद्याधर का बाग]]' और त्रिपोलिया बाज़ार में 'विद्याधर के रास्ते' में स्थित उनकी पुश्तैनी-हवेली, उनकी धुंधली सी याद को यथासंभव सुरक्षित रखे हुए हैं.| [[जयपुर विकास प्राधिकरण]] ने [[ अहमदाबाद]] के प्रसिद्ध वास्तुविद [[बालकृष्ण विट्ठल दास दोषी]] (जन्म 26 अगस्त 1927-) के नक़्शे से उनके नाम पर एक पूरा का पूरा विशाल उपनगर 'विद्याधर नगर' ही जयपुर-सीकर रोड पर बसाया है.|
 
==परिवार==