"नवीकरणीय संसाधन": अवतरणों में अंतर

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==जल संसाधन==
{{मुख्य|जल संसाधन}}
पृथ्वी पर उपलब्ध जल, संसाधन के रूप में कुछ खास दशाओं में एक नवीकरणीय संसाधन है। जल का [[पारिस्थितिक तंत्र]] में पुनर्चक्रण होता रहता है जिसे [[जल चक्र]] कहते हैं। अतः जल एक प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत शोधित और मानव उपयोग योग्य बनता रहता है। नदियों का जल भी मानव द्वारा डाले गये कचरे की एक निश्चित मात्रा को स्वतः जैविक प्रक्रियाओं द्वारा शुद्ध करने में समर्थ है। लेकिन जब जल में [[जल प्रदूषण|प्रदूषण]] की मात्रा इतनी अधिक हो जाए कि वह स्वतः पारिस्थितिक तंत्र की सामान्य प्रक्रियाओं द्वारा शुद्ध न किया जा सके और मानव के उपयोग योग्य न रह जाय तो ऐसी स्थिति में यह नवीकरणीय नहीं रह जाता।
 
एक उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो उत्तरी भारत के जलोढ़ मैदान हमेशा से भूजल में संपन्न रहे हैं लेकिन अब उत्तरी पश्चिमी भागों में सिंचाई हेतु तेजी से दोहन के कारण इनमें अभूतपूर्व कमी दर्ज की गई है।<ref>Paul Wyrwoll, Australian National University, Australia [http://www.globalwaterforum.org/2012/07/30/indias-groundwater-crisis/comment-page-1/ India’s groundwater crisis] JULY 30, 2012 IN DEVELOPMENT, WATER SECURITY।</ref>
भारत में जलभरों और भूजल की स्थिति पर चिंता जाहिर की ज रही है। जिस तरह भारत में भूजल का दोहन हो रहा है भविष्य में स्थितियाँ काफी खतरनाक होसकती हैं। वर्तमान समय में २९% विकास खण्ड या तो भूजल के दयनीय स्तर पर हैं या चिंतनीय हैं और कुछ आंकड़ों के अनुसार २०२५ तक लगभग ६०% ब्लाक चिंतनीय स्थितिमें आ जायेंगे।<ref>दक्कन हेराल्ड - [http://www.deccanherald.com/content/56673/indias-ground-water-table-dry.htm India's ground water table to dry up in 15 years]; अभिगमन तिथि ०५.०७.२०१४।</ref>
 
ध्यातव्य है कि भारत में ६०% सिंचाई एतु जल और लगभग ८५% पेय जल का स्रोत भूजल ही है,<ref>Paul Wyrwoll, Australian National University, Australia [http://www.globalwaterforum.org/2012/07/30/indias-groundwater-crisis/comment-page-1/ India’s groundwater crisis] JULY 30, 2012 IN DEVELOPMENT, WATER SECURITY।</ref> ऐसे में भूजल का तेजी से गिरता स्तर एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है।
 
==मत्स्यन==