"भूगोल का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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'''[[बर्नार्ड वारेन]]''' या ([[वेरेनियस]]) ने 1630 ई॰ में ऐम्सटरडैम में 'ज्योग्रफिया जेनरलिस' (Geographia Generalis) ग्रंथ लिखा 28 वर्ष की अवस्था में इस जर्मन डाक्टर लेखक की मृत्यु सन् 1650 में हुई। इस ग्रंथ में संसार के मनुष्यों के श्रृखंलाबद्ध दिगंतर का सर्वप्रथम विश्लेषण किया गया।
 
'''18वीं शताब्दी''' में भूगोल के सिद्धांतों का विकास हुआ। इस शताब्दी के भूगोलवेत्ताओं में [[इमैनुअलइमानुएल कांट]] की धारणा सराहनीय है। कांट ने भूगोल के पाँच खंड किए :
* (1) '''गणितीय भूगोल''' - सौर परिवार में पृथ्वी की स्थिति तथा इसका रूप, अकार, गति का वर्णन;
* (2) '''नैतिक भूगोल''' -- मानवजाति के आवासीय क्षेत्र पर निर्धारित रीति रिवाज तथा लक्षण का वर्णन;
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== समकालीन भूगोल==
1950-60 में भूगोल में एक नई घटना का अभ्युदय हुआ जिसे [[भूगोल में मात्रात्मक क्रांति]] का नाम दिया गया। इस दौरान [[प्रत्यक्षवाद]] के दर्शन पर आधारित भूगोल के वैज्ञानिक रूप की स्थापना हुई। [[बी॰ जे॰ एल॰ बेरी]], [[आर॰रिचार्ड जे॰ चोर्ले]], [[पीटर हैगेट]] आदि का योगदान प्रमुख है भूगोल में तंत्र विश्लेषण और मॉडल की अवधारणा का सूत्रपात हुआ।
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