"महिला सशक्तिकरण": अवतरणों में अंतर

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== नारीवादी आंदोलनों की भूमिका ==
देश की आधी आबादी यानी महिलाएं अब स्वावलंबन की ओर अग्रसर हैं । वे हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर पुरूषों के कदम से कदम मिला रही हैं । पिछले 10 सालों के आंकड़े बताते हैं कि इन्होंने अपनी अहमियत दर्शाकर नई पहचान बना ली है । राजनीति, खेल, शिक्षा, उद्यम सेवा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है । यह महिलाओं की इच्छाशक्ति और लगनशीलता का प्रतीक है कि आज शहरी महिलाओं के साथ-साथ गांव की महिलाएं भी अपने पैरों पर खड़ी होकर जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं । घर के चूल्हे मौके से लेकर देश, प्रदेश, समाज के विकास में हाथ बंटा रही हैं । सामाजिक स्तर पर भी महिलाओं के लिए किये जा रहे प्रयासों से भी सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं । प्रदेश में महिला सशक्ति करण के लिए जन अभियान परिषद् द्वारा गठित प्रस्फुटन समितियां व स्वयंसेवी संस्थाएं प्रयासरत हैं । जिसके परिणाम भी अब देखने को मिलने लगे हैं । यह पहला मौका होगा जब इतने बड़े पैमाने पर म.प्र. सरकार महिलाओं को उनका हक दिलाने में जुटी है । वहीं प्रदेश की स्वयंसेवी संस्थाओं और प्रस्फुटन समितियों के माध्यम से प्रदेश के कोने-कोने में बसे गांवों की महिलाएं स्वावलंबन और स्वरोजगार के प्रति प्रेरित हो रही हैं । प्रस्फुटन समितियों के माध्यम से गांवों में स्वरोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं । सिलाई कढ़ाई सेंटर, छोटे-छोटे उद्यम लगाकर प्रस्फुटन समितियां महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा कर रही है । शिक्षा के प्रति प्रेरित किया जा रहा है । समितियों के माध्यम से महिलाएं आज स्वरोजगार की ओर अग्रसर हो रही हैं । राज्य में महिलाओं से संबंधित ऐसी कई योजनाएं संचालित हैं जो महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ाकर प्रदेश के विकास में भागीदार बना रही है । ऐसी ही एक कहानी है सतना जिले की श्रीमती अंजना सिंह की । सतना मुख्यालय से लगभग 22 कि.मी. की दूरी पर स्थित प्रस्फुटन ग्राम पवैया की एक महिला लाख बंदिशों के बावजूद घर से महिलाओं को आगे लाने के लिए निकली । उस महिला का नाम है श्रीमती अंजना सिंह । जो एक क्षत्रिय परिवार से हैं । जब वह पहली बार घर से निकली तो गांव ही नहीं परिवार के लोगों ने भी उन्हें बुरा भला कहा aaI परन्तु यह साहसपूर्ण कार्य करने में उनकी पति श्री कमल सिंह उनके साथ थे, जिन्होंने उनकी मनोबल बढ़ाया और उनका सहयोग किया । इसके अलावा उनके साथ जुड़ी गांव की एक और महिला श्रीमती कमला वर्मा, जो कदम से कदम मिलाकर उनके साथ चल रही है । अब वही साहस एक समिति संगठन के रूप में परिवर्तित हो चुका है जो ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति पवैया के नाम से जाना जाने लगा है । ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति पवैया समग्र ग्राम विकास के लक्ष्य में महिलाओं की भागीदारी तथा इनके दृढ़ निश्चयी संकल्प को क्रियान्वित करने में जुटा है । ग्राम पवैया में कार्यरत प्रस्फुटन समिति का प्रारंभ ही महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ हुआ । प्रस्फुटन समिति की प्रेरणा तथा लक्ष्य दोनों ही महिला सशक्तिकरण तथा महिला जागरूकता रहा है । इस प्रस्फुटन समिति के प्रारंभिक दौर में समिति के रूप में केवल दो महिलाएं आगे आई और इन्होंने अन्य 10 महिलाओं के नाम समिति में लिखवाये । इन दो महिलाओं अंजना सिंह तथा कमला वर्मा के प्रयासों से पवैया गांव की बैठकों में 10 महिलाओं के आने का सिलसिला प्रारंभ होकर अब विभिन्न कार्यक्रमों तथा बैठकों में 120-150 की संख्या में महिलाओं की भागीदारी होती है । महिला जागरूकता तथा सशक्तिकरण के कार्यक्रम, महिलाओं द्वारा विभिन्न दिवसों पर गोष्ठी, बैठक करना, गांव में नियमित संस्कार केन्द्र के संचालन में सहयोग करना, स्वयं सहायता समिति गठित करवा कर उसको गतिविधि आधारित कार्यक्रमों से जोड़ना, गांव में बच्चियों के जन्म लेने पर बरहों उत्सव संस्कार करवाना, साप्ताहिक सांस्कृतिक कार्यक्रम करना तथा महिलाओं से जुड़ी हुई शासन की योजनाओं को प्रचारित करके लोगों को जोड़ने का कार्य समिति द्वारा किया जा रहा है । गांव के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी तब जुड़ी जब प्रस्फुटन समिति की महिला सदस्यों ने गांव को निर्मल ग्राम बनाने का लक्ष्य लिया तथा एक प्रस्ताव बनाकर ग्राम पंचायत तथा जनपद पंचायत में भिजवाया । योजना अन्तर्गत स्वच्छता समिति में प्रस्फुटन समिति की सभी महिलायें शामिल हुई । समिति की महिलाओं के सतत् प्रयासो से अब ग्राम पवैया निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त कर चुका है ।
 
== भारत में महिला सशक्तिकरण ==