"महात्मा रामचन्द्र वीर": अवतरणों में अंतर

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स्वराज्य के पूर्व भी वे पशुबलि और सामाजिक कुरूतियों के उन्मूलन के साथ-साथ हिन्दू हितों की रक्षा और गोहत्या निषेध के लिए अपनी शक्ति लगाते रहे थे. उनके अनशन और सत्याग्रहों से गोवंश और हिन्दू हितों की दिशा में उल्लेखनीय सफलता भी प्राप्त हुई, किन्तु स्वराज्य और देश विभाजन के पश्चात् उनकी सारी शक्ति गोहत्या निषेध और हिन्दू हितों के संघर्ष की और उन्मुख हो गयी. परिणामस्वरूप आदर्श हिन्दू संघ के संगठन को जो ध्यान और समय मिलना चाहिए था वो नहीं मिला.
 
उनके एकमात्र उत्तराधिकारी के रूप में [[आचार्य धर्मेन्द्र]] भी उनके हर आन्दोलन में साथ रहे और आदर्श हिन्दू संघ का रचनात्मक कायाकल्प भी दोनों संतो के मन-मस्तिष्क में समाया रहा. इसलिए जब १९७८ ई० में आचार्य धर्मेन्द्र ने गुरुदेव का आसन ग्रहण किया तो अपने पीठाभिषेक के साथ ही उन्होंने गुरुदेव के हिन्दू समाज के पुनुरुथान और परिष्कार के पवित्र संकल्प की पूर्ति के लिए आदर्श हिन्दू संघ को "धर्म समाज" के नाम में प्रवर्तित कर दिया. पीठाभिषेक के समारोह में [[विराटनगर]] में देश के कोने - कोने से आये साधु संतों और सद्गृहस्थ अनुयायियों के बीच "धर्म समाज" की प्रथम बार ध्वज पताका फहरायी गयी और आचार्य श्री धर्मेन्द्र ने धर्मसमाज का घोषणा पत्र जारी किया. [[विराटनगर]] के प्रथम सम्मलेन के पश्चात् मध्यप्रदेश के [[नागदा]] और [[उज्जयिनी]] में धर्म समाज के द्वितीय और तृतीय सम्मेलन हुए. तत्पश्चात विराटनगर में चतुर्थ सम्मेलन भी आयोजित किया गया. सभी सम्मेलनों में सारे देश से प्रतिनिधि उत्साहपूर्वक सम्मिलित हुए. परन्तु कुछ लोगों ने धर्म समाज नाम पर अपना अधिकार जताया और इस नाम से पहले से एक संगठन के अस्तित्व का दावा प्रस्तुत किया. उस समय आचार्य श्री ने अपना पूरा समय विश्व हिन्दू परिषद् के "श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन" को समर्पित कर रखा था. परिणामस्वरूप धर्म समाज आन्दोलन की प्रगति पूरी तरह अवरुद्ध हो गयी. अपनी आयु के ६५ वर्ष पूर्ण होने पर [[पुणे]] में १० जनवरी को सहयाद्री पर्वत की उपत्यका में श्रीसमर्थ रामदास महाराज की पवित्र पादुकाओ का पूजन करके आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने "पावन-परिवार" के शुभारम्भ का संकल्प किया और विधिवत इस संगठन की स्थापना की. पवन के पुत्र परम पवन श्रीपरमपवन वज्रांगदेवश्रीवज्रांगदेव [[हनुमान]] भगवान की करुणा, सेवा, संकल्प और शील का अनुसरण करने वाले सद्भाक्तोभक्तों का संगठन ही अब "पावन-परिवार" है.
 
== सतत संघर्ष ==
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[[श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन]]
[[श्रेणी:आध्यात्मिक गुरु]]
[[श्रेणी:हिन्दू नेता]]