"महात्मा रामचन्द्र वीर": अवतरणों में अंतर

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महात्मा रामचन्द्र वीर की अन्य प्रकाशित रचनाएँ हैं - वीर का विराट् आन्दोलन, वीररत्न मंजूषा,हिन्दू नारी, हमारी गौ माता, अमर हुतात्मा, विनाश के मार्ग (1945 में रचित), ज्वलंत ज्योति, भोजन और स्वास्थ्य
 
वीर जी राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए भी संघर्षरत रहे. एक राज्य ने जब [[हिंदी]] की जगह [[उर्दू]] को राजभाषा घोषित किया तो वीर जी ने उनके विरुद्ध अभियान चलाया व अनशन किया. तब वीर विनायक दामोदर सावरकर ने भी उनका समर्थन किया था. जहाँ मध्यकाल में [[वाल्मीकि रामायण]] से प्ररेणा लेकर गोस्वामी [[तुलसीदास]] जी ने जन सामान्य के लिए अवधी भाषा में [[रामचरित मानस]] की रचना की, वहीं आधुनिक काल में [[वाल्मीकि रामायण]] से ही प्रेरित होकर '''महात्मा रामचन्द्र वीर''' ने [[हिन्दी]] भाषा में [[श्री रामकथामृतश्रीरामकथामृत]] लिख कर एक नया अध्याय जोडा है। [[राष्ट्रभाषा]] [[हिन्दी]] के प्रति उनकी अनन्य भक्ति अनुपम है -
'''नहीं हो सकती कोई भाषा
मेरे तुल्य अतुल अभिराम।
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हिन्दी माता तुझे प्रणाम।।'''
 
वीर जी को उनकी [[साहित्य]], [[संस्कृति]][[धर्म]] की सेवा के उपलक्ष्य में १३ दिसंबर १९९८ को [[कोलकाता]] के बड़ा बाज़ार लाइब्रेरी \ की और से "भाई [[हनुमान प्रसाद पोद्दार]] राष्ट्र सेवा" पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. गोरक्षा पीठाधीश्वर सांसद अवधेश नाथअवधेशनाथ जी महाराज ने उन्हें शाल व एक लाख रुपया देकर सम्मानित किया था. आचार्य [[विष्णुकांत शास्त्री]] ने उन्हें जीवित हुतात्मा बताकर उनके पार्टी सम्मान प्रकट किया था.
 
== हिन्दू हितों के लिए "आदर्श हिन्दू संघ" की स्थापना ==