"महात्मा रामचन्द्र वीर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Hemant Shesh (वार्ता | योगदान) |
Hemant Shesh (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 76:
== हिंदी साहित्य में योगदान ==
महात्मा वीर एक यशस्वी लेखक, कवि तथा ओजस्वी वक्ता थे. इन्होंने देश तथा धर्मके लिए बलिदान देने वाले हिन्दू हुतात्माओं का इतिहास लिखा. हमारी गोमाता, [[श्री रामकथामृत]] (महाकाव्य),
रामचंद्र वीर ने गद्य और पद्य दोनों में बहुत अच्छा लिखा, उनकी अमर कृति [[‘विजय पताका’]] तो मुर्दों में जान फूंक देने में सक्षम है। [[अटल बिहारी वाजपेयी]] ने अपने बाल्यकाल में इसी पुस्तक को पढकर अपना जीवन देश सेवा हेतु समर्पित किया। इसमें लेखक ने पिछले एक हजार वर्ष के भारत के इतिहास को पराजय और गुलामी के इतिहास के बजाय संघर्ष और विजय का इतिहास निरूपित किया है। अपनी अधूरी आत्मकथा "'''विकट यात्रा'''" को महात्मा वीर जी ने संक्षेप में 650 पृष्ठों में समेटा है। वह भी केवल 1953 तक की कथा है। उनके पूरे जीवन वृत्तांत के लिये तो कोई महाग्रन्थ चाहिये।
पंक्ति 82:
ऐसे एक महान् लेखक और कवि का साहित्य जगत् अब तक ठीक से मूल्यांकन नहीं कर पाया है।
महात्मा रामचन्द्र वीर की अन्य प्रकाशित रचनाएँ हैं - वीर का विराट् आन्दोलन, वीररत्न मंजूषा, हिन्दू नारी, हमारी गौ माता, अमर हुतात्मा, विनाश के मार्ग (1945 में रचित), ज्वलंत ज्योति, भोजन और स्वास्थ्य
वीर जी राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए भी संघर्षरत रहे. एक राज्य ने जब [[हिंदी]] की जगह [[उर्दू]] को राजभाषा घोषित किया तो वीर जी ने उनके विरुद्ध अभियान चलाया व अनशन किया. तब वीर विनायक दामोदर सावरकर ने भी उनका समर्थन किया था. जहाँ मध्यकाल में [[वाल्मीकि रामायण]] से प्ररेणा लेकर गोस्वामी [[तुलसीदास]] जी ने जन सामान्य के लिए अवधी भाषा में [[रामचरित मानस]] की रचना की, वहीं आधुनिक काल में [[वाल्मीकि रामायण]] से ही प्रेरित होकर '''महात्मा रामचन्द्र वीर''' ने [[हिन्दी]] भाषा में [[श्रीरामकथामृत]] लिख कर एक नया अध्याय जोडा है। [[राष्ट्रभाषा]] [[हिन्दी]] के प्रति उनकी अनन्य भक्ति अनुपम है -
|