"दिष्टधारा मोटर": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Ejs Open Source Direct Current Electrical Motor Model Java Applet ( DC Motor ) 80 degree split ring.gif|right|thumb|300px|डीसी मोटर का कार्यसिद्धान्त]]
'''दिष्ट धारा मोटर''' वह उपकरण है जो [[विद्युत उर्जा]] को यांत्रिक उर्जा में बदलता है।
[[चित्र:TMW 50904 Schnittmodell eines Gleichstrommotors.jpg|right|thumb|300px|डीसी मोटर का आन्तरिक दृष्य]]
'''दिष्टधारा मोटर''' (DC motor) [[विद्युत मशीन]] है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है।
 
== रचना परिचय==
डीसी मोटर में बहुत से आपस में संबद्ध चालकों का तंत्र रहता है, जो एक आर्मेचर (armature) पर आरोपित होता है। आर्मेचर, नरम लोहे की बहुत सी पट्टिकाओं (plates) को जोड़कर बना होता है और बेलनाकार (cylindrical) होता है। इसमें चारों ओर खाँचे कटे हुए होते हैं, जिनमें चालक समूहोंको कुंडली अथवा दंडों के रूप में रखा जाता है। इन चालकों को, एक निश्चित योजना के अनुसार, आपस में एक दूसरे से संबद्ध किया जाता है। इस निश्चित क्रम को आर्मेचर कुंडलन (armature winding) कहते हैं। विभिन्न प्रकार के कुंडलनों के विशिष्ट लक्षण होते हैं, जिनके विशिष्ट प्रकार के कुंडलनों के विशिष्ट लक्षण होते हैं, निके विशिष्ट लाभ होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र भी एक दूसरे चालक समूह में से धारा को प्रवाहित कर प्राप्त किया जाता है। दिष्ट धारा मोटरों के आर्मेचर चालकों में धारा बुरुशों द्वारा ले जाई जाती है। ये बुरुश, वस्तुत: आर्मेचर से संबद्ध दिक्परिवर्तक (commutator) पर आरोपित होते हैं और संभरण से संबद्ध होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करनेवाले कुंडलनों से संबद्ध होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करनेवाले कुंडलनों को सामान्यत: क्षेत्र कुंडली (Field coil) कहते हैं। ये कुंडलियाँ आर्मेचर कुंडलन से श्रेणी में संबद्ध या समांतर में संबद्ध या समांतर में संबद्ध हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि उनके कुछ कुंडलन श्रेणी में हों और कुछ समांतर में।
इस मोटर के निम्नलिखित भाग होते हैं
;चुम्बक:
यह विद्युत चुम्बक होता जो आर्मेचर किनारे लगा होता है।
;आर्मेचर:
आम तौर पर एक मोटर या जनरेटर - में - एक कवच आम तौर पर एक विद्युत मशीन के दो प्रमुख बिजली के घटकों में से एक को संदर्भित करता है , लेकिन यह भी एक स्थायी चुंबक या विद्युत के पोल टुकड़ा , या एक solenoid या रिले के चलते लोहे का हिस्सा हो सकता है.
अन्य घटक क्षेत्र घुमावदार या क्षेत्र चुंबक है . " क्षेत्र " घटक की भूमिका के साथ बातचीत करने के लिए इस प्रकार के क्षेत्र घटक के एक आयोजन कुंडल द्वारा गठित स्थायी चुंबक , या विद्युत या तो शामिल कर सकते हैं कवच के लिए एक चुंबकीय क्षेत्र ( चुंबकीय प्रवाह ) बनाने के लिए बस है .
यह हमेशा एक कंडक्टर या एक प्रवाहकीय कुंडल , क्षेत्र और गति की दिशा के लिए , टोक़ (घूर्णन मशीन ) , या बल ( रैखिक मशीन ) दोनों के लिए उन्मुख सामान्य है ताकि कवच , इसके विपरीत में , वर्तमान उठाने चाहिए. कवच की भूमिका दुगना है. पहले इस प्रकार एक रेखीय मशीन में एक घूर्णन मशीन या बल में शाफ्ट टोक़ बनाने , क्षेत्र को पार वर्तमान ले जाने के लिए है . दूसरी भूमिका एक इलेक्ट्रोमोटिव बल (EMF ) उत्पन्न करने के लिए है .
कवच में, एक इलेक्ट्रोमोटिव बल कवच और क्षेत्र के सापेक्ष गति से बनाया जाता है . मशीन मोटर मोड में कार्य करता है, इस EMF के कवच वर्तमान का विरोध करता है , और मशीन ठप है जब तक कवच , विद्युत, यांत्रिक टोक़ करने के लिए बिजली , और शक्ति धर्मान्तरित , और शाफ्ट के माध्यम से लोड करने के लिए स्थानांतरित कर देती है . मशीन जनरेटर मोड में कार्य करता है, कवच EMF के कवच वर्तमान ड्राइव , और शाफ्ट यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है और लोड करने के लिए स्थानांतरित किया है. उत्पादित बिजली सामान्य रूप से क्षेत्र पर विचार किया जाएगा जो स्टेटर से तैयार किया जाता है के बाद से एक प्रेरण जनरेटर में, ये भेद , धुंधला कर रहे हैं .
 
क्षेत्र कुंडलन के इस प्रकार संयोजन के आधार पर तीन विभिन्न प्ररूप के दिष्ट धारा मोटर प्राप्त होते हैं : '''श्रेणी मोटर''' (Series Motor), '''शंट मोटर''' (Shunt motor) तथा '''संयुक्त मोटर''' (Compound motor)। श्रेणी मोटर में जो धारा आर्मेचर में से होकर प्रवाहित होती है, वही क्षेत्र कुंडली में भी प्रवाहित होती है। अत:, इसकी क्षेत्र कुंडली में मोटे तार के बहुत कम कुंडलन होते हैं। शंट मोटर में पूर्ण धारा का कुछ अंश ही क्षेत्र कुंडली में होकर बहता है, जो उसके आरपार बोल्टता तथा कुंडलन के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। अत: इसी क्षेत्र कुंडली में बहुत पतले तार के बहुत अधिक कुंडलन होते हैं, जिससे इस कुंडली का प्रतिरोध सामान्यत: कई सौ ओम होता है।
== कार्य विधि ==
जब खुले परिपथ को बंद कर दिया जाता हैं तो विद्युत का प्रवाह आर्मेचर से होकर धन से त्रण की ओर होने लगता है। अर्थात A->B->C->D फ्लेमिंग के बांए हाथ के नियमानुसार
जब धारा कि दिशा तर्जनी और माध्यिका कि दिशा में होतो बल अंगूठे कि दिशा में लगता है। अर्थात A-B में बल अंदर कि ओर लगेगा D-C में बल बाहर कि ओर लगेगा। परिणाम स्वरुप आर्मेचर घूम जाएगा। जैसे ही आर्मेचर कि स्थिति
C B
[S N] [S N]
D A
हो जाएगी तो D-C सेल के धन सिरे से जुड जाएगा तो धारा कि दिशा D->C->B->A हो जाएगी अर्थात विद्युत धारा D-C को नीचे दबाएगी और A-B को उपर खीचेगी।
फलस्वरुप आर्मेचर पुन: घूम जाएगा जैसे ही आर्मेचर अपनी प्रारंभिक स्थिति में आएगा तो A-B को धारा नीचे दबाएगी और D-C को उपर खींचेगी और यही क्रम चलता रहेगा।
परिणाम स्वरुप मोटर काम करने लगेगा।
 
विभिन्न प्ररूपों के दिष्ट धारा मोटरों के लक्षण भी बहुत भिन्न भिन्न होते हैं, और उन्हीं के अनुसार इनका प्रयोग भी भिन्न भिन्न प्रयोजनों के लिए होता है। शंट मोटर लगभग स्थिर चाल परप्रवर्तन करते हैं और भार के साथ उनका चाल विचरण अधिक नहीं होता। अत: वे उन सब उपयोगों में प्रयुक्त होते हैं जहाँ एकसम चाल की आवश्यकता होती है। ये ट्राम, लिफ्ट, क्रेन इत्यादि के लिए बड़े उपयोगी हैं। किसी भार को चलन में लाने से पहले अधिक बल लगाना पड़ता है, पर जब वह चलने लगता है तब उतने बल की आवश्यकता नहीं रहती। अतएव श्रेणी मोटर इन प्रयुक्तियों के लिए आदर्श होते हैं और इनका उपयोग विस्तृत रूप में होता है।
== उपयोग ==
# विद्युत पंखा (जिन्हे आवेशित किया जा सके)
# खिलौनो मे (जहां कम उर्जा कि आवश्यकता होती है)
 
अधिकांश प्रयोजनों के लिए शंट तथा श्रेणी प्ररूपों के बीच की आवश्यकता होती है, जो संयुक्त मोटर द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
[[श्रेणी:उर्जा]]
 
==इन्हें भी देखें==
*[[दिष्टधारा विद्युतजनित्र]]
*[[प्रेरण मोटर]]
*[[तुल्यकालिक मोटर]]
 
== वाह्य सूत्र ==
* [http://www.stefanv.com/rcstuff/qf200212.html How Motors Work (brushed and brushless RC airplane motors)]
* [http://www.aseanexport.com/PDF/dc_motor_speed_controller.pdf Theory of DC motor speed control]
 
[[श्रेणी:उर्जाविद्युत मशीन]]
[[श्रेणी:विद्युत मोटर]]