"यमुनोत्री": अवतरणों में अंतर

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''आवाहयामि यमुने त्वं श्रीकृष्ण भामिनी।।''
 
[[सूर्यतनया]] का शाब्दिक अर्थ है [[सूर्य]] की पुत्री अर्थात् यमुना।[[यमुना]]। पुराणों में यमुना सूर्य -पुत्री कही गयी हैं। सूर्य भगवान की छाया और संज्ञा नामक दो पत्नियों से यमुना, यम, शनिदेव तथा वैवस्वत मनु प्रकट हुए। इस प्रकार यमुना यमराज और शनिदेव की बहन हैं। [[भ्रातृ द्वितीया]] ([[भैयादूज]]) पर यमुना के दर्शन और [[मथुरा]] में स्नान का विशेष माहात्म्यमहात्म्य है। यमुना सर्वप्रथम जलरूप से [[कलिंद]] पर्वत पर आयीं, इसलिए इनका एक नाम [[कालिंदी]] भी है। सप्तऋषि कुंड, सप्त सरोवर कलिंद पर्वत के ऊपर ही अवस्थित हैं। यमुनोत्तरी धाम सकल सिद्धियों को प्रदान करने वाला कहा गया है। पुराणों में उल्लेख है कि भगवान [[श्रीकृष्ण ]]की आठ पटरानियों में एक प्रियतर पटरानी कालिंदी यमुना भी हैं। यमुना के भाई शनिदेव[[शनि]]देव का अत्यंत प्राचीनतम मंदिर [[खरसाली]] में है।
 
''प्रयागकूले यमुनातटे वा सरस्वती पुण्यजले गुहायाम्।