"यमुनोत्री": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 14:
 
''प्रयागकूले यमुनातटे वा सरस्वती पुण्यजले गुहायाम्।
''यो योगिनां ध्यान गतो%पिगतोsपि सूक्ष्म तस्मै नम: श्री रविनंदनाय।।।।''
 
कहा गया है-जो व्यक्ति यमुनोत्तरी धाम आकर यमुनाजी के पवित्र जल में स्नान करते हैं तथा यमुनोत्तरी के सान्निध्य खरसाली में शनिदेव का दर्शन करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यमुनोत्तरी में सूर्यकुंड, दिव्यशिला और विष्णुकुंड के स्पर्श और दर्शन मात्र से लोग समस्त पापों से मुक्त होकर परमपद को प्राप्त हो जाते हैं।