"सस्य आवर्तन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Plodozmian.jpg|right|thumb|300px|एक प्रायोगिक खेत पर सस्य आवर्तन का प्रभाव : बायें खेत में [[आलू]]-[[जई]]-[[राईनिवारिका]]-[[मटर]] सस्यचक्र अपनाकर खेती की जा रही है; दायें खेत में पिछले ४५ वर्षों से केवल [[राईनिवारिका]] ही उगायी जा रही है।]]
विभिन्न फसलों को किसी निश्चित क्षेत्र पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में बोने को '''सस्य आवर्तन''' ('''सस्यचक्र''' या '''फ़सल चक्र''' (क्रॉप रोटेशन)) कहते हैं। इसका उद्देश्य पौधों के भोज्य तत्वों का सदुपयोग तथा भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित करना है।