"विद्याधर चक्रवर्ती": अवतरणों में अंतर

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==दीवान पद पर पदोन्नति==
[[सवाई जयसिंह]], [[काबुल]] में हुई लड़ाई में अपने पिता [[महाराजा विष्णुसिंह]] के देहांत के बाद [[1699]]-[[1700]] ई. में [[आमेर]] की गद्दी पर बैठे थे- [[विद्याधर]] के जन्म के प्रायः छ: साल बाद- जिन्होंने अपने एक प्रायः अनाम लेखा-लिपिक [[विद्याधर]] की असामान्य प्रतिभा को न केवल पहचाना और सम्मानित किया; बल्कि सन [[1729 ]]में उन्हें पदोन्नत कर [[आमेर]] राज्य का 'देश-दीवान' (या [[राजस्व]]-[[मंत्री]]) का महत्वपूर्ण पद भी दिया. सन [[1743]] में [[सवाई जयसिंह]] के देहावसान के बाद भी विद्याधर शासन में रहे, और समय-समय पर सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे.
https://commons.wikimedia.org/wiki/File%3APalace%2C_Jeypur.jpg
 
==जयपुर को विद्याधर का योगदान==
जयपुर के [[नगर नियोजक]] और प्रमुख-[वास्तुविद]] के रूप में [[विद्याधर]] का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं. वह कई अवसरों पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर चुके थे और [[सवाई जयसिंह]] को उनकी मेधा और योग्यता पर पूरा भरोसा था इसलिए सन 1727 में [[आमेर]] को छोड़ कर जब पास में ही एक नया [[नगर]] बनाने का विचार उत्पन्न हुआ तो भला [[विद्याधर]] को छोड़ कर इस कल्पना को क्रियान्वित करने वाला भला दूसरा और कौन होता? लगभग चार साल में विद्याधर के मार्गदर्शन में नए नगर के निर्माण का आधारभूत काम पूरा हुआ| जयसिंह ने अपने नाम पर इस का नाम पहले पहल 'सवाई जयनगर' रखा जो बाद में 'सवाई जैपुर' और अंततः आम बोलचाल में और भी संक्षिप्त हो कर 'जयपुर' के रूप में जाना गया|