"हृदयराम": अवतरणों में अंतर

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'''हृदयराम''' एक प्राचीन [[कवि]] एवं [[कृष्णदास]] जी के पुत्र थे। हृदयराम पंजाब के रहने वाले थे। वे रामभक्त थे, उनकी रचनाये भगवा राम को समर्पित थी। वे हनुमन्नाटक के रचयिता हैं।
 
== परिचय ==
इन्होंने सन् 1623१६२३ में संस्कृत के हनुमन्नाटक के आधार पर भाषा हनुमन्नाटक लिखा जिसकी कविता बड़ी सुंदर और परिमार्जित है। इसमें अधिकतर कविता और सवैये में बड़े अच्छे संवाद हैं। रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने अपने समय की सारी प्रचलित काव्य पद्धतियों पर 'रामचरित' का गान किया। केवल रूपक या नाटक के ढंग पर उन्होंने कोई रचना नहीं की। तुलसीदास के समय से ही उनकी ख्याति के साथ साथ रामभक्ति की तरंगें भी देश के भिन्न भिन्न भागों में उठ चली थीं। अत: उस काल के भीतर ही नाटक के रूप में कई रचनाएँ हुईं जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध हृदयराम का हनुमन्नाटक हुआ।
 
श्री बाली के अनुसार हृदयराम पंजाबी थे, तथा उनके "हनुमन्नाटक" को गुरु गोविन्द सिंह सदा अपने साथ रखते थे। इससे सीखो में भी बड़ा सम्मान हैं। पूरा ग्रन्थ लगभग डेढ़ हजार छंदों में समाप्त हुआ हैं। "हनुमन्नाटक" में हनुमान का चरित नहीं, अपितु भगवान राम का जीवन वृत्त, जानकी-स्वयंवर से लेकर राज्याभिषेक तक प्रस्तुत है।<ref>{{cite book | title =हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास| author = गणपति चन्द्र गुप्त | authorlink = | publisher = राजकमल प्रकाशन | edition = | year = | isbn = 8180312046, 9788180312045| page = २२९ }}</ref>
 
ह्रदयराम के पद्य के उदाहरण निम्न हैं-
 
देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक,<br />
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जीवति है? कहिबेई को नाथ, सु क्यों न मरी हमतें बिछुराहीं।<br />
प्रान बसै पद पंकज में जम आवत है पर पावत नाहीं।<br />
 
== कृतियाँ ==
* हनुमन्नाटक (१६२३)
 
==सन्दर्भ==