"हृदयराम": अवतरणों में अंतर
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'''हृदयराम''' एक प्राचीन [[कवि]] एवं [[कृष्णदास]] जी के पुत्र थे। हृदयराम पंजाब के रहने वाले थे। वे रामभक्त थे, उनकी रचनाये भगवा राम को समर्पित थी। वे हनुमन्नाटक के रचयिता हैं।
== परिचय ==
इन्होंने सन्
श्री बाली के अनुसार हृदयराम पंजाबी थे, तथा उनके "हनुमन्नाटक" को गुरु गोविन्द सिंह सदा अपने साथ रखते थे। इससे सीखो में भी बड़ा सम्मान हैं। पूरा ग्रन्थ लगभग डेढ़ हजार छंदों में समाप्त हुआ हैं। "हनुमन्नाटक" में हनुमान का चरित नहीं, अपितु भगवान राम का जीवन वृत्त, जानकी-स्वयंवर से लेकर राज्याभिषेक तक प्रस्तुत है।<ref>{{cite book | title =हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास| author = गणपति चन्द्र गुप्त | authorlink = | publisher = राजकमल प्रकाशन | edition = | year = | isbn = 8180312046, 9788180312045| page = २२९ }}</ref>
ह्रदयराम के पद्य के उदाहरण निम्न हैं-
देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक,<br />
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जीवति है? कहिबेई को नाथ, सु क्यों न मरी हमतें बिछुराहीं।<br />
प्रान बसै पद पंकज में जम आवत है पर पावत नाहीं।<br />
== कृतियाँ ==
* हनुमन्नाटक (१६२३)
==सन्दर्भ==
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