"हृदयराम": अवतरणों में अंतर

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'''हृदयराम''' एक प्राचीन [[कवि]] एवं [[कृष्णदास]] जी के पुत्र थे।<ref>{{cite book | title =काव्य गौरव| author = संपादक डॉ. राम्दसक मिश्र | authorlink = | publisher = वाणी प्रकाशन | edition = | year = | isbn = | page =१३}}</ref> हृदयराम पंजाब के रहने वाले थे। वे रामभक्त थे, उनकी रचनाये भगवा राम को समर्पित थी। वे हनुमन्नाटक के रचयिता हैं।<ref>{{cite book | title =भक्तिकालीन राम तथा कृष्णा काव्य की नारी भावना| author = श्यामबाला गोयल | authorlink = | publisher = विभु प्रकाशन | edition = | year = १९७६ | isbn = | page = ४१ }}</ref><ref>{{cite book | title =भक्तिकालीन राम तथा कृष्णा काव्य की नारी भावना| author = श्यामबाला गोयल | authorlink = | publisher = विभु प्रकाशन | edition = | year = १९७६ | isbn = | page = ११२ }}</ref><ref>{{cite book | title =भक्तिकालीन राम तथा कृष्णा काव्य की नारी भावना| author = श्यामबाला गोयल | authorlink = | publisher = विभु प्रकाशन | edition = | year = १९७६ | isbn = | page = ४१ }}</ref><ref>{{cite book | title =आधुनिक हिंदी काव्य और पुराणकथा| author = डॉ. मालती सिंह | authorlink = | publisher = राजकमल प्रकाशन | edition = | year = २००७ | isbn = | page = ३०८ }}</ref>
 
== परिचय ==
इन्होंने सन् १६२३ में संस्कृत के हनुमन्नाटक के आधार पर भाषा हनुमन्नाटक लिखा जिसकी कविता बड़ी सुंदर और परिमार्जित है। इसमें अधिकतर कविता और सवैये में बड़े अच्छे संवाद हैं। रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने अपने समय की सारी प्रचलित काव्य पद्धतियों पर 'रामचरित' का गान किया। केवल रूपक या नाटक के ढंग पर उन्होंने कोई रचना नहीं की। तुलसीदास के समय से ही उनकी ख्याति के साथ साथ रामभक्ति की तरंगें भी देश के भिन्न भिन्न भागों में उठ चली थीं। अत: उस काल के भीतर ही नाटक के रूप में कई रचनाएँ हुईं जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध हृदयराम का हनुमन्नाटक हुआ।<ref>{{cite book | title =साहित्य निबंध| author = डॉ. मालती सिंह | authorlink = | publisher = राजकमल प्रकाशन | edition = | year = २००७ | isbn = | page = ३०५ }}</ref>
 
श्री बाली के अनुसार हृदयराम पंजाबी थे, तथा उनके "हनुमन्नाटक" को गुरु गोविन्द सिंह सदा अपने साथ रखते थे। इससे सीखो में भी बड़ा सम्मान हैं। पूरा ग्रन्थ लगभग डेढ़ हजार छंदों में समाप्त हुआ हैं। "हनुमन्नाटक" में हनुमान का चरित नहीं, अपितु भगवान राम का जीवन वृत्त, जानकी-स्वयंवर से लेकर राज्याभिषेक तक प्रस्तुत है।<ref>{{cite book | title =हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास| author = गणपति चन्द्रगणपतिचन्द्र गुप्त | authorlink = | publisher = राजकमल प्रकाशन | edition = | year = | isbn = 81803120468180312968, 97881803120459788180312960| page = २२९ }}</ref><ref>{{cite book | title =संस्कृत नाटको के हिंदी अनुवाद| author = देवेन्द्र कुमार | authorlink = | publisher = Rājapāla | edition = | year = १९६७ | isbn = | page = ४ }}</ref>
 
ह्रदयराम के छन्द के उदाहरण निम्न हैं-
 
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'''देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक,<br />
हाथ दूजो न लगाऊँ, वार करौं एक करको।<br />
मीजि मारौं उर ते उखारि भुजदंड, हाड़,<br />