"नाभिकीय भौतिकी": अवतरणों में अंतर

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* प्रौद्योगिक विकास के तत्त्व जुटाना
 
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नाभिकीय उर्जा
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[[श्रेणी:रेडियो]]
आन्स्टीन से पहले यह माना जाता था कि द्र्व्यमान तथा उर्जा दो विभिन्न चीजे है द्रव्यमान पदार्थ का मौलिक गुण है
[[श्रेणी:वर्णक्रम]]
जो कि प्रत्येक पदार्थ नमे होता है ।उर्जा पदार्थ के कार्य करने के छमता को कह्ते है।किसी पदार्थ मे उर्जा उसकी विशेश स्थिती अथवा गति के कारण होती है यह भी समझा जाता था कि ब्रह्माण्ड मे द्रव्यामान का कुल परिमाण कभी नही बदलता, तथा इसी प्रकार उर्जा का कुल परिमाण निश्चित है ।इसका अर्थ यह हुआ कि द्रव्यमान -सरछ्ण तथा उर्जा -सरछ्ण
[[श्रेणी:विज्ञान]]
दो स्वतन्त्र नियम माने जाते थे ।आन्स्टीन ने अपने सापेछ्ता के सिद्द्धान्त से यह सिद्ध किया कि द्रव्यमान तथा उर्जा एक दुसरे से सम्बन्धित है तथा प्रत्येक पदार्थ मे उसके द्रव्यमान के कारण भी उर्जा होती है ।यदि किसी पदारथ मे Δm̩ द्रव्यमान कि छति हो जाय इससे उत्पन्न उर्जा
[[श्रेणी:विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम]]
ΔΕ =(Δm)c२
 
जहा c प्रकाश की चाल है ।इसे आन्स्टीन का द्र्व्यमान - उर्जा समीकरण कहते है ।इस सम्बन्ध के अनुसार पदार्थ का १ ग्राम द्रव्यमान ९×१०१३ जूल के तुल्य होत है ।