"शिवहर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 29:
इस जिले की दक्षिणी सीमा पर बागमती नदी बहती है, जो यहां की मु़ख्य नदी भी है। इसी नदी के किनारे डूबा घाट से सटे यहां का मुख्य धार्मिक स्थल "देवकुली धाम" है। देवकुली में भगवान शिव का एक अति प्राचीन मंदिर है जहां प्रत्येक रविवार को दर्शनार्थियों की भारी भीड जमा होती है
'''अन्य दर्शनीय स्थान:-''' अन्य दर्शनीय स्थानों में पुरनहिया प्रखंड के गांव बसंत जगजीवन स्थित एक अति प्राचीन एवं विशाल बरगद का वृक्ष है जो अनुमानतः तीन से चार एकड भूमि क्षेत्र में अकेले हीं फैला हुआ है। प्रतिवर्ष चारों तरफ तेजी से पसरती एव फैलती हुई इनकी जडों को अगल बगल के किसानों द्वारा काट दिया जाता है ताकि बरगद के भावी कब्जे से वे अपने खेतों को बचा सके वरना अभी तक इसका आकार अपने वर्तमान आकार से लगभग तीन-चार गुना हो गया होता।
मूल तना के अलावे इस वृक्ष की लगभग सौ और भी सहायक तना और जडें हैं जो हाथी-घोडों जैसी आकृति बनाते हुए एक प्रकार का भ्रम पैदा करते हैं। खासकर बच्चों के लिए यह एक कौतुहल पूर्ण दृश्य है।
ऐसी मान्यता है कि मूल तने के जड की खोह में नागदेवी एवं नागदेवता का निवास है प्रतिवर्ष नागपंचमी के दिन यहाँ एक मेले जैसा दृश्य होता है। दूर-दूर के गाँवों से लोग यहाँ नागदेवी- नागदेवता की पूजा अर्चना एवं विशाल बरगद वृक्ष के दर्शन करने आते हैं।
|