"काव्य": अवतरणों में अंतर

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भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ [[भरतमुनि]] से समझा जा सकता है। कविता या काव्य क्या है इस विषय में भारतीय साहित्य में आलोचकों की बड़ी समृद्ध परंपरा है—
: साहित्य दर्पण में [[आचार्य विश्वनाथ]] का कहना है, 'वाक्यम् रसात्मकं काव्यंकाव्यम्' यानि [[रस]] की अनुभूति करा देने वाली वाणी काव्य है
: [[पंडितराज जगन्नाथ]] कहते हैं, 'रमणीयार्थ-प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्' यानि सुंदर अर्थ को प्रकट करने वाली रचना ही काव्य है।
: [[पंडित अंबिकादत्त व्यास]] का मत है, 'लाकोत्तरानन्ददाता प्रबंधः काव्यानाम् यातु' यानि लोकोत्तर आनंद देने वाली रचना ही काव्य है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/काव्य" से प्राप्त