"बृहस्पति (ग्रह)": अवतरणों में अंतर

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| mean_anomaly = १८.८१८°
| period = ४,३३२.५९&nbsp;[[दिन]]<br />११.८६१८&nbsp;[[वर्ष]]<br />१०,४७५.८ बृहस्पति [[सौर दिवस]]<ref name="planet_years">{{cite web|url = http://cseligman.com/text/sky/rotationvsday.htm|title = Rotation Period and Day Length|last = Seligman |first = Courtney|accessdate = 2009-08-13}}</ref>
| synodic_period = ३९८.८८&nbsp;दिन<ref name="fact" /><ref group=lower-alpha name=1bar/>
| avg_speed = १३.०७&nbsp;कि.मी./से.<ref name="fact" />
| satellites = [[Jupiter's natural satellites|६४]]
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[[चित्र:Jupiter-Earth-Spot comparison.jpg|thumb|left|पृथ्वी और बृहस्पति की तुलना]]
[[File:SolarSystem OrdersOfMagnitude Sun-Jupiter-Earth-Moon.jpg|thumb|left|बृहस्पति की सूर्य और पृथ्वी से तुलना]]
बृहस्पति का द्रव्यमान हमारे [[सौर मंडल]] के अन्य सभी ग्रहों के संयुक्त द्रव्यमान का २.५ गुना है। यह इतना बड़ा है कि [[सूर्य]] के साथ इसका बेरिसेंटर सूर्य की सतह के ऊपर सूर्य के केंद्र से १.०६८ [[सौर त्रिज्या]] पर स्थित है। यद्यपि इस ग्रह की [[त्रिज्या]] पृथ्वी से ११ गुना बड़ी है पर यह अपेक्षाकृत बहुत कम घना है। बृहस्पति का [[आयतन]] १३२१ [[पृथ्वी]]यों के बराबर है, तो भी और द्रव्यमान पृथ्वी से मात्र ३१८ गुना है।<ref name="fact">{{cite web|url = http://nssdc.gsfc.nasa.gov/planetary/factsheet/jupiterfact.html|title = Jupiter Fact Sheet|publisher = NASA|last = Williams|first = Dr. David R.|accessdate = August 8, 2007|date = November 16, 2004}}</ref> बृहस्पति की त्रिज्या सूर्य की त्रिज्या का लगभग १/१० है और इसका द्रव्यमान [[सौर द्रव्यमान]] का हजारवाँ हिस्सा मात्र है इसलिए दोनों निकायों का [[घनत्व]] समान है। एक "बृहस्पति द्रव्यमान" (M<sub>J</sub> या M<sub>Jup</sup>) को प्रायः अन्य पिंडों के द्रव्यमान की एक [[इकाई]] के रूप में, विशेषरूप से [[ग़ैर-सौरीय ग्रह]] और [[भूरे बौनों]] के लिए प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए ग़ैर-सौरीय ग्रह HD 209458-b का द्रव्यमान ०.६९ M<sub>J</sub> जबकि COROT-7b का द्रव्यमान ०.०१५ M<sub>J</sub> व्यक्त किया जाता है।
 
सैद्धांतिक मॉडल से संकेत मिलता है कि अगर बृहस्पति का वर्तमान द्रव्यमान बहुत अधिक बढ़ जाए तो यह ग्रह सिकुड़ जाएगा। द्रव्यमान में मामूली परिवर्तन से इसकी त्रिज्या में कोई ख़ास अन्तर नहीं होगा और लगभग ५०० [[पृथ्वी द्रव्यमान|M<sub>⊕</sub>]] ( १.६ बृहस्पति द्रव्यमान) से अधिक होने पर आतंरिक भाग [[न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त|गुरुत्व बल]] के अंतर्गत संकुचित हो जाएगा और पदार्थ की मात्रा बढ़ने के बावजूद [[ग्रह]] के आयतन में कमी होगी। बढ़ते द्रव्यमान के साथ संकुचन की प्रक्रिया पर्याप्त तारकीय प्रज्वलन प्राप्त करने तक जारी रहेगी, जैसे कि ५० बृहस्पति द्रव्यमान के आसपास भूरे बौने का उच्च-द्रव्यमान। परिणामस्वरूप, बृहस्पति की संरचना और विकासवादी इतिहास के अनुरूप इसे बड़े [[व्यास]] वाले ग्रह के जैसा माना गया।