"बृहस्पति (ग्रह)": अवतरणों में अंतर

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बृहस्पति का मेग्नेटोस्फेयर , ग्रह के ध्रुवीय क्षेत्रों से तीव्र धारा की रेडियो उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है | आयो चन्द्रमा पर ज्वालामुखी गतिविधि , बृहस्पति के मेग्नेटोस्फेयर में गैस फेंक कर ग्रह के आसपास कणों का टॉरस बनाती है | जैसे ही आयो टॉरस से होकर होकर गुजरता है टकराहट से आल्फवेन तरंग उत्पन्न होती है जो आयनित पदार्थ को वहन कर बृहस्पति के ध्रुवीय क्षेत्रों में ले जाती है | परिणामस्वरूप , साइक्लोट्रोंन मेसर तंत्र के माध्यम से रेडियो तरंगे उत्पन्न होती है और यह ऊर्जा एक शंकु आकार की सतह के साथ बाहर की ओर फैलती है | जब पृथ्वी इस शंकु को काटती है , बृहस्पति से रेडियों उत्सर्जन , सौर रेडियों उत्सर्जन से अधिक हो सकता है |
 
== परिक्रमा तथाएवं घूर्णन ==
[[चित्र:Solarsystem3DJupiter.gif|thumb| बृहस्पति ७७ करोड़ ८० लाख कि.मी. की औसत दूरी से सूर्य की परिक्रमा करता है और एक चक्कर हर ११.८६ वर्ष में लगाता है.]]बृहस्पति एक मात्र [[ग्रह]] है जिसका सूर्य के साथ [[द्रव्यमान केंद्र]] सूर्य के आयतन से बाहर स्थित है | <ref>{{cite book
|author=Herbst, T. M.; Rix, H.-W.|year=1999