"फ़ैसलाबाद": अवतरणों में अंतर
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== नाम ==
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फैसलाबाद का इतिहास केवल एक शताब्दी पुरानी है। १९ वीं शताब्दी में यह स्थान झाड़ीयों से ढका हुआ मवेशी पालने वालों का गढ़ था। १८९२ में इसे झंग और गो गेरा ब्रांच नाम के दो जलसंधि द्वारा सिंचित किया गया। १८९५ में यहां प्रथम बस्ती स्थापना हुआ जिसका उद्देश्य मंडी कायम करना था। उन दिनों शाहदरा से शोरकोट और सा निगला हल से टोबा टेक सिंह के माबीन वाक़िअ इस इलाके़ को सानदल बार कहा जाता था। ये इलाक़ा दरयाए रावी और दरयाए चिनाब के दरम्यान वाक़िअ दोआबा रचना का अहम हिस्सा है। लाइलपोर शहर के क़याम से पहले यहां पक्का माड़ी नामी क़दीम रिहाइशी इलाक़ा मौजूद था, जिसे आज कल पक्की माड़ी कहा जाता है और वो मौजूदा तारिक़ आबाद के नवाह में वाक़िअ है। ये इलाक़ा लोअर चिनाब कॉलोनी का मरकज़ क़रार पाया और बाद अज़ां उसे मीवनसपलटी का दर्जा दे दिया गया।
मौजूदा ज़िला
=== तिथि ===
इस नगर की प्रमुख ऐतिहासिक तिथि इस प्रकार है
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* 1903 मैं घंटा घर की तामीर का आग़ाज़ हुआ और वो 1906 मैं मुकम्मल हवा।
* 1904 में ज़िला का दर्जा दिया गया, इस से क़बल ये ज़िला झंग की एक तहसील था।
* 1906 मैं
* 1908 में यहां पंजाब ज़रई कालज और खालसा स्कूल का आग़ाज़ हुआ, जो बाद अज़ां बिलतरतीब ज़रई यवनीवररसटी और खालसा कालज की सूरत में तरक़्की कर गए। खालसा कालज आज भी जड़ांवाला रोड पर म्यूनसिंपल डिग्री कालज के नाम से मौजूद है।
* 1909 मैं टाउन कमेटी को म्यूनसिंपल कमेटी का दर्जा दे दिया गया और डिप्टी कमिशनर को पहला चेयरमैन क़रार दिया गया।
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=== घंटा घर ===
घंटा घर की स्थापना का फैसला झंग के डेप्युटी कमिश्नर झंग कॅपटॅन बेक (Capt Beke) ने किया था और इस का जग १४ नोमबर १९०३इ को सर जेमज़ लाएल ने रखा। जिस स्थान पर घंटा घर की तामेर के लए मंतख़ब कया गया वहां लाएलपुर शहर की तामेर के वक़त से एक कनवां मोजोद था। इस कनोएं को सरगोधा रोड पर वाक़ा चक राम देवाली से लाई गई मटी से अछी तरह भर दया गया। योंही घंटा घर की तामेर में प्रयोग होने वाला पत्थर ५० किलोमेटर की दूरी पर वाक़ा सांगला हल नामी पहाटी से लाया गया। इस नगर का डिजाइन डेस्मंड यंगद्वारा हुआ था।
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