"पंजाब (भारत)": अवतरणों में अंतर

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1947 [[भारत का विभाजन]] के बाद बर्तानवी भारत के पंजाब सूबे को भारत और पाकिस्तान दरमियान विभाजन दिया गया था। 1966 में भारतीय पंजाब का वुभाजन फिर से गो गई और नतीजे के तौर पर [[हरियाणा]] और [[हिमाचल प्रदेश]] होंद में आए और पंजाब का मौजूदा राज बना। यह भारत का अकेला सूवे है जहाँ सिख बहुमत में हैं।
 
युनानी लोग पंजाब को पैंटापोटाम्या नाम के साथ जानते थे जो कि पाँच इकठ्ठा होते दरियाओं का अंदरूनी डेल्टा है। पारसियों के पवित्र ग्रंथ अवैस्टा में पंजाब क्षेत्र को पुरातन हपता हेंदू या सप्त-सिंधु (सात दरियाओं की धरती) के साथ जोड़ा जाता है। बर्तानवी लोग इस को "हमारा प्रशिया कह कर बुलाते थे। ऐतिहासिक तौर पर पंजाब युनानियों, मध्य एशियाईओं, अफगानियोंअफ़ग़ानियों और ईरानियों के लिए [[भारतीय उपमहाद्वीप]] का प्रवेश-द्वार रहा है।
 
कृषि पंजाब का सब से बड़ा उद्योग है; यह भारत का सब से बड़ा गेहूँ उत्पादक है। ओर प्रमुख उद्योग हैं: वैज्ञानिक साज़ों, कृषि, खेल और बिजली सम्बन्धित माल, सिलाई मशीनें, मशीन यंत्रों, स्टार्च, साइकिलों, खादें आदि का निर्माण, वित्तीय रोज़गार, सैर-सपाटा और देवदार के तेल और खंड का उत्पादन। पंजाब में भारत में से सब से अधिक इस्पात के लुढ़का हुआ मीलों के कारख़ाने हैं जो कि फ़तहगढ़ साहब सुसत की इस्पात नगरी मंडी गोबिन्दगढ़ में हैं।
 
== नामोत्पत्ति ==
'पंजाब' शब्द, [[फारसी]] के शब्दों 'पंज' (پانجپنج) पांच और 'आब' (آب) पानी के मेल से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ 'पांच नदियों का क्षेत्र' है। ये पांच नदियां हैं: [[सतलुज]], [[व्यास]], [[रावी]], [[चिनाब]] और [[झेलम]]। धार्मिक आधार पर सन् [[१९४७]] में हुए भारत के विभाजन के दौरान चिनाब और झेलम नदियां [[पाकिस्तान]] के [[पाकिस्तानी पंजाब|पंजाब]] प्रांत में चली गयीं।
 
== इतिहास ==