"दूरस्थ शिक्षा": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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* '''जून २०१३''' : [[विश्वविद्यालय अनुदान आयोग]] द्वारा दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो की स्थापना
==दूरस्थ शिक्षा की विशेषताएँ==
* दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थी को नियमित तौर पर किसी संस्थान में जाकर पढ़ाई करने की जरूरत नहीं होती।
* सभी पाठ्यक्रमों के लिए क्लासों की संख्या तय होती है और देश भर के कई केन्द्रों पर उनकी पढ़ाई होती है।
* विजुअल क्लासरूम लर्निंग, इंटरैक्टिव ऑनसाइट लर्निंग और वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए विद्यार्थी देश के किसी भी राज्य में रहकर घर बैठे पढ़ाई कर सकते हैं।
* विद्यार्थी अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने पढ़ने की समय-तालिका बना सकते हैं।
* कम खर्चीली
* सर्वसुलभ - विद्यार्थियों की संख्या की कोई सीमा नहीं
* काम (जॉब) करने के साथ-साथ पढ़ाई की जा सकती है।
* कम अंक आने पर भी मनपसंद कोर्स में दाखिला मिल जाता है।
* किसी भी कोर्स के लिए उम्र बाधा नहीं होती है।
* दूरस्थ शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण कार्य 'पाठ्य सामग्री तैयार करना' है। शिक्षक इसमें सामने नहीं होते। इसलिए पाठ्य सामग्री ही शिक्षक का काम करता है।
* '''मान्यता'' : पत्राचार से किए गए कोर्सों की मान्यता कहीं कम नहीं आंकी जाती। ये भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जितने की रेग्युलर कोर्स।
* साधारण कोर्स के साथ ही वोकेशनल कोर्स तथा प्रोफेशनल कोर्स भी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से किये जा सकते हैं।
* आजकल दूरस्थ शिक्षा के द्वारा विद्यार्थी ग्रेजुएट, एमफिल, पीएचडी’, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज़ आदि सभी कोर्स कर सकते हैं।<ref>[http://www.chauthiduniya.com/2009/06/dursth-siksha-madhyam.html दूरस्थ शिक्षा माध्यम है, तो कुछ ग़म नहीं]</ref>
== इन्हें भी देखें ==
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