"उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसन्दूक लेखक
पद्म भूषण
| नाम = उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति
| चित्र =
| चित्र आकार =
| चित्र शीर्षक =
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = 21 दिसंबर 1932
| मृत्युतारीख़ =२२ अगस्त २०१४
| कार्यक्षेत्र = अध्यापन, लेखन
| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[कन्नड़
| काल = [[आधुनिक काल]]
| विधा = कहानी और उपन्यास
| विषय = [[सामाजिक]]
| आन्दोलन = नव्या
| प्रमुख कृति = [[संस्कार]]
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम =
}}
''' उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति ''' (२१ दिसंबर १९३२ - २२ अगस्त २०१४) समकालीन कन्नड़ साहित्यकार, आलोचक और शिक्षाविद् हैं। इन्हें कन्नड़ साहित्य के नव्या आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। इनकी सबसे प्रसिद्ध रचना संस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले आठ कन्नड़ साहित्यकारों में वे छठे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के रूप में भी काम किया था। साहित्य एवं शिक्षा]] के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सन [[१९९८]] में [[भारत सरकार द्वारा इन्हें [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। २०१३ के मैन बुकर पुरस्कार पाने वाले उम्मीदवारों की अंतिम सूची में इन्हें भी चुना गया था। २२ अगस्त २०१४ को ८१ वर्ष की अवस्था में बंगलूर (कर्नाटक) में इनका निधन हो गया।
<ref>[मशहूर साहित्यकार अनंतमूर्ति का निधन - BBC Hindi - भारत http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/08/140822_ananthamurthy_obituary_du.shtml] </ref>
 
== जीवन परिचय ==
 
उनका विवाह ईस्तर के साथ हुआ। उनकी दो संताने हैं पुत्री अनुराधा और पुत्र शरत।
२२ अगस्त २०१४ को ८१ वर्ष की अवस्था में उनका लंबी बीमारी के बाद बंगलौर में निधन हो गया.
 
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== पुरस्कार / सम्मान ==
* १९९४ ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार - कन्नड़ साहित्य में योगदान और आम आदमी के लिए लिखने की उनकी नई सोच के लिए
* १९९८ में पद्म भूषण
== संदर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
== इन्हें भी देखें ==
 
 
[[श्रेणी:कन्नड़ साहित्यकार]]
[[श्रेणी:१९९८ पद्म भूषण]]