"गुरु दत्त": अवतरणों में अंतर

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'''गुरु दत्त''' ( वास्तविक नाम: '''वसन्त कुमार शिवशंकर पादुकोणे''', जन्म: [[9 जुलाई]], [[1925]] [[बैंगलौर]], निधन: [[10 अक्टूबर]], [[1964]] [[बम्बई]]) हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध [[अभिनेता]],[[निर्देशक]] एवं [[फ़िल्म निर्माता]] थे। उन्होंने १९५०वें और १९६०वें दशक में कई उत्कृष्ट फिल्में बनाईं जैसे [[प्यासा (1957 फ़िल्म)|प्यासा]],[[कागज़ के फूल (1959 फ़िल्म)|कागज़ के फूल]],[[साहिब बीबी और ग़ुलाम (1962 फ़िल्म)|साहिब बीबी और ग़ुलाम]] और [[चौदहवीं का चाँद (1960 फ़िल्म)|चौदहवीं का चाँद]]।
उन्हें कभी कभी "भारत का ऑर्सन वेल्स" भी कहा जाता है। 2010 में, वह सीएनएन "सभी समय के शीर्ष 25 एशियाई अभिनेताओं" के बीच में शामिल किया गया था के रूप में जाना जाता है.
1957 में बनी फ़िल्म [[प्यासा (1957 फ़िल्म)|प्यासा]] का यह अकेला [[गीत]] जो गुरु दत्त के ऊपर ही फिल्माया गया था उन्हें हमेशा हमेशा के लिये [[अमर]] कर गया:
 
::''ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है, वफा कुछ नहीं,दोस्ती कुछ नहीं है;''</br>''जहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है, ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?''</br>
::''जला दो इसे फूँक डालो ये दुनिया, मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया;''</br>'' तुम्हारी है तुम ही सँभालो ये दुनिया, ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?''
 
== प्रारम्भिक जीवन व पारिवारिक पृष्ठभूमि ==