"मालवा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Mhow2 coolspark.jpg|right|thumb| [[विंध्याचल]] का दृश्य, यह मालवा की दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है। इससे इस क्षेत्र की कई नदियां निकली हैं।]]
 
'''मालवा''', [[ज्वालामुखी]]पश्चिम केकेन्दीय उद्गार से बना पश्चिमी [[भारत]] का एक अंचलभौगोलिक है।और [[मध्यसांस्कृतिक प्रदेश]] केहै पश्चिमी भाग तथा [[राजस्थान]] के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से गठित यह क्षेत्र आर्यों के समय से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग [[चंबल नदी]] तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचितसिंचित है। यद्यपि इसकी राजऩीतिक सीमायें समय समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस छेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कॄति एंव भाषा का विकाशविकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से [[मालवा का पठार]] है । इसे प्राचीनकाल में मालवा या मालव के नाम से जाना जाता था, वर्तमान में [[मध्यप्रदेश]] प्रांत के पश्चिमी भाग में २१#ं७.७' से २५#ं१.१' उत्तरी अक्षांस तथा ७३#ं४५.४५' से ७९#ं१४.१४' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी. है।

प्राकृतिक रुप से मालवा क्षेत्र उच्चभूमि माना जा सकता है, जिसकी समतल भूमि थोड़ा झुकाव लिये हुए है। अंदर का अधिकांश भाग खुला है। [[काली मिट्टी]] की परत होने के कारण भूमि उपजाऊ है। छोटे पठार, जंगल व जल के प्राकृतिक स्रोत मिल जाते हैं।

==सीमा और उद्भव ==
[[ज्वालामुखी]] के उद्गार से बना पश्चिमी [[भारत]] का एक अंचल है। [[मध्य प्रदेश]] के पश्चिमी भाग तथा [[राजस्थान]] के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से गठित यह क्षेत्र आर्यों के समय से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का उक्त नाम "मालव' नामक जाति के आधार पर पड़ा इस जाति का उल्लेख सर्वप्रथम ई. पू. चौथी सदी में मिलता है, जब इस जाति की सेना ने सिकंदर से युद्ध में पराजित हुई थी। ये मालव प्रारंभ में पंजाब तथा राजपूताना क्षेत्रों के निवासी थी, लेकिन सिकंदर से पराजित होकर वे अवन्ति व उसके आस- पास के क्षेत्रों में बस गये। उन्होंने आकर (दशार्ण) तथा अवन्ति को अपनी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। दशार्ण की राजधानी [[विदिशा]] थी तथा अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी। कालांतर में यही दोनों प्रदेश मिलकर मालवा कहलाये। इस प्रकार एक भौगोलिक घटक के रुप में "''मालवा'' का नाम लगभग प्रथम ईस्वी सदी में मिलता है।
 
भारत के अन्य राज्यों की भाँति मालवा की भी राजनीतिक सीमाएं राजनीतिक गतिविधियों व प्रशासनिक कारणों से परिवर्तित होती रही है।
 
अनेक ऐतिहासिक साक्ष्यों एवं भौगोलिक स्थिति के आधार पर प्राचीन मालवा के भौगोलिक विस्तार के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों के अलग- अलग मत हैं। व्यापक अर्थ में यह उत्तर में ग्वालियर की दक्षिणी सीमा से लेकर दक्षिण में [[नर्मदा घाटी]] के उत्तरी तट से संलग्न महान [[विंध्य]] क्षेत्रों तक तथा पूर्व में [[विदिशा]] से लेकर [[राजपूताना]] की सीमा के मध्य फैले हुए भू- भाग का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार स्थूल रुप से यह पश्चिम में मेही नदी से लेकर पूर्व में धसान नदी तक तथा दक्षिण में निर्माड़ तथा सतपुड़ा तक फैली हुई है। दिनेश चंद्र सरकार के अनुसार "''मालवा'', जो आकर- दशार्ण तथा अवन्ति प्रदेश का द्योतक है -- पश्चिम में अरावली पर्वतमाला, दक्षिण में विंध्य श्रेणी, पूर्व में बुंदेलखण्ड और उत्तर- पूर्व में गंगा- घाट से घिरा हुआ प्रदेश था, जिसमें मध्य भारत के आधुनिक [[इंदौर]], [[धार]], [[ग्वालियर]], [[भोपाल]], [[रतलाम]], [[गुना]] तथा सागर जिले के कुछ भाग सम्मिलित थे। डी. सी. गांगुली का मत है कि ""मालवा प्रदेश पूर्व में भिलसा (विदिशा) से लेकर पश्चिम में मेही नदी तक तथा उत्तर में कोटा राज्य से लेकर दक्षिण में [[ताप्ती नदी]] तक फैला हुआ था।
 
बी. पी. सिन्हा के अनुसार ""मालवा प्रदेश पश्चिम में चंबल नदी से लेकर पूर्व में एरण तक, दक्षिण में विंध्य श्रेणी से लेकर उत्तर में चंबल के उत्तरी मोड़ तक विस्तृत था।'' मैलकम द्वारा मालवा की सीमा उत्तर दक्षिण में विंध्याचल से मुकुन्दरा तक तथा पूर्व से पश्चिम में नर्मदा से निमाड़ तक बतलाई गयी है। ओ. एच. के स्पेट के अनुसार ""मालवा प्रदेश त्रिभुजाकार में विंध्य श्रेणी पर आधारित है, जो उत्तर- पश्चिम में अरावली पर्वत से तथा पूर्व में बुंदेलखण्ड से घिरा हुआ है।'' कैलाश चंद्र जैन का मत है कि ""मालवा प्रदेश के अंतर्गत संपूर्ण पश्चिमी मध्य प्रदेश का विस्तृत भू- भाग आता है, जो दक्षिण में विंध्य श्रेणी, पूर्व में सागर- दमाई पठार और बुंदेलखण्ड, उत्तर में गुना- शिवपुरी क्षेत्र और राजस्थान तथा पश्चिम में गुजरात और अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।
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वर्त्तमान में यह लगभग ४७,७६० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है तथा इसके अंतर्गत धार , झबुआ, रतलाम, देवास, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, सेहौर, शाहपुर, रामसेन, राजगढ़ तथा विदिशा जिले आते हैं।
 
 
प्राकृतिक रुप से मालवा क्षेत्र उच्चभूमि माना जा सकता है, जिसकी समतल भूमि थोड़ा झुकाव लिये हुए है। अंदर का अधिकांश भाग खुला है। काली मिट्टी की परत होने के कारण भूमि उपजाऊ है। छोटे पठार, जंगल व जल के प्राकृतिक स्रोत मिल जाते हैं।
 
== मालवा के चार भाग ==
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* [http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/mw.htm मालवा]
 
*देश मालवा गहन गंभीर, डग डग रोटी पग पग नीर - अमीर खुसरो
 
डग डग रोटी
*[http://www.kanhaiya.com/infovinity/?p=42 इंदौर(मध्यप्रदेश) की यादे!!]
पग पग नीर
- अमीर खुसरो
 
[[श्रेणी:भारत के प्रदेश]]
[http://www.kanhaiya.com/infovinity/?p=42 इंदौर(मध्यप्रदेश) की यादे!!]
 
{{Link FA|en}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मालवा" से प्राप्त