"हाल": अवतरणों में अंतर
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सत्तसई के सुभाषित अपने लालित्य तथा मधुर कल्पना के लिए समस्त प्राचीन साहित्य में अनुपम माने गए हैं। उनमें पुरुष और नारियों की शृंगारलीलाओं तथा जलाशय आदि पर नर नारियों के व्यवहारों और सामान्यत: लोकजीवन के सभी पक्षों की अतिसुंदर झलकें दिखाई देती हैं। हाल की इस रचना का भारतीय साहित्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। [[काव्यशास्त्र|अलंकारशास्त्रों]] में तो उसके अवतरण दृष्टांत रूप से मिलते ही है। संस्कृत में आई सप्तशती तथा हिंदी में तुलसी सतसई, बिहारी सतसई आदि रचनाएँ उसी के आदर्श पर हुई हैं।
==इन्हें भी देखें==
* [[गाथासप्तशती|गाथा सप्तशती या गाहा सत्तसई]]
==बाहरी कड़ियाँ==
[[श्रेणी:भारतीय साहित्यकार]]
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