"अंगुत्तरनिकाय": अवतरणों में अंतर

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छो सन्दर्भ की स्थिति ठीक की।
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* दूसरे संयुक्त निकाय में छठी शताब्दी पूर्व के राजनीतिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है,
* तीसरे मझिम निकाय को भगवान बुद्ध को दैविक शक्तियों से युक्त एक विलक्षण व्यक्ति मानता है। और
* चौथे, अंगुत्तर निकाय में सोलह महानपदों की सूची मिलती हैं। <ref>{{cite web |url= http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/ruh0002.htm|title= रुहेलखण्ड का संक्षिप्त इतिहास|accessmonthday=[[१६ दिसंबर]]|accessyear=[[2007]]|format= एचटीएम|publisher=टेक्नालॉजी डेवलेपमेंट फ़ॉर इंडियन लैंगुएजेज़|language=}}</ref>
 
इसके अतिरिक्त पाँचवें, खुद्दक निकाय लघु ग्रंथों का संग्रह है जो छठी शताब्दी ई. पूर्व से लेकर मौर्य काल तक का इतिहास प्रस्तुत करता है। अमिधम्म पिटक में बौद्ध धर्म के दार्शनिक सिद्धान्त हैं। कुछ अन्य बौद्ध ग्रंथ भी हैं। मिलिंदमन्ह में यूनानी शाशक मिनेण्डर और बौद्ध मिक्षु नागसेन के वार्तालाप का उल्लेख है।<ref>{{cite web |url= http://www.pustak.org/bs/home.php?bookid=4528|title= प्राचीन भारत का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास|accessmonthday=[[१६ दिसंबर]]|accessyear=[[2007]]|format= पीएचपी|publisher=भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>