"अफ़्रीका": अवतरणों में अंतर
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'''अफ़्रीका''' वा कालद्वीप, [[एशिया]] के बाद विश्व का सबसे बड़ा [[महाद्वीप]] है। यह ३७<sup>०</sup>१४' उत्तरी [[अक्षांश]] से ३४<sup>०</sup>५०' दक्षिणी अक्षांश एवं १७<sup>०</sup>३३' पश्चिमी [[देशान्तर]] से ५१<sup>०</sup>२३' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले [[मानव]] का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश [[द्वितीय विश्व युद्ध]] के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है।
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{{main|अफ़्रीका की भू-प्रकृति}}
[[चित्र:Amphitheatre Drakensberg View.jpg|thumb|right|200 px|[[ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत]] ]]
अफ्रीका ऊँचे [[पठारों]] का महाद्वीप है,<ref>{{cite book |last=पाण्डे |first=रामनारायण |title= भूगोल परिचय, भाग-२|year=जनवरी १९८१ |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=१६२-१७७ |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर [[चट्टानों]] से हुआ है। जर्मनी के प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता तथा भूशास्त्रवेत्ता अल्फ्रेड वेगनर ने पूर्व जलवायु शास्त्र, पूर्व वनस्पति शास्त्र, भूशास्त्र तथा भूगर्भशास्त्र के प्रमाणों के आधार पर यह प्रमाणित किया कि एक अरब वर्ष पहलें समस्त स्थल भाग एक स्थल भाग के रूप में संलग्न था एवं इस स्थलपिण्ड का नामकरण पैंजिया किया।<ref>{{cite book |last=सिहं |first=सविन्द्र |title= भौतिक भूगोल |year=जुलाई २००२ |publisher=वसुन्धरा प्रकाशन |location=गोरखपुर |id= |page=४७ |accessday= २६|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> कार्बन युग में पैंजिया के दो टुकड़े हो गये जिनमें से एक उत्तर तथा दूसरा दक्षिण में चला गया। पैंजिया का उत्तरी भाग लारेशिया तथा दक्षिणी भाग गोंडवाना लैंड को प्रदर्शित करता था।
पूर्व एवं दक्षिण का उच्च पठार भूमध्य रेखा के पूर्व तथा दक्षिण में स्थित है तथा अपेक्षाकृत अधिक ऊँचा है। प्राचीन समय में यह पठार [[दक्षिण भारत]] के पठार से मिला था। बाद में बीच की भूमि के धँसने के कारण यह [[हिन्द महासागर]] द्वारा अलग हो गया। इस पठार का एक भाग [[अबीसिनिया]] में [[लाल सागर]] के तटीय भाग से होकर [[मिस्र]] देश तक पहुँचता है। इसमें [[इथोपिया]], [[पूर्वी अफ्रीका]] एवं [[दक्षिणी अफ्रीका]] के पठार सम्मिलित हैं। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में इथोपिया का पठार है। २,४०० मीटर ऊँचे इस पठार का निर्माण प्राचीनकालीन [[ज्वालामुखी]] के उद्गार से निकले हुए लावा हुआ है।<ref>{{cite book |last=प्रसाद |first=सुरेश |title= भौतिक और प्रादेशिक भूगोल |year=जुलाई १९८१ |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=१०७-१२० |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> नील नदी की कई सहायक नदियों ने इस पठार को काट कर घाटियाँ बना दी हैं। इथोपिया की पर्वतीय गाँठ से कई उच्च श्रेणियाँ निकलकर पूर्वी अफ्रीका के झील प्रदेश से होती हुई दक्षिण की ओर जाती हैं। इथोपिया की उच्च भूमि के दक्षिण में पूर्वी अफ्रीका की उच्च भूमि है। इस पठार का निर्माण भी ज्वालामुखी की क्रिया द्वारा हुआ है। इस श्रेणी में [[किलिमांजारो]] (५,८९५ मीटर), [[रोबेनजारो]] (५,१८० मीटर) और [[केनिया]] (५,४९० मीटर) की बर्फीली चोटियाँ [[भूमध्यरेखा]] के समीप पायी जाती हैं। ये तीनों ज्वालामुखी पर्वत हैं। किलिमंजारो अफ्रीका की सबसे ऊँचा पर्वत एवं चोटी है।
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{{legend|#7E8000|UMA}}
]]
प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होते हुए भी अफ्रीका विश्व का सबसे दरिद्र और सबसे अविकसित भू-भाग है। यातायात एवं तकनीकी का विकास न होने के कारण इन संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाया है। महाद्वीप की अधिकांश जनसंख्या आज भी अशिक्षित है, इसी से इस महाद्वीप को अन्ध महादेश भी कहते हैं। [[औद्योगिक क्रांति]] के कारण [[यूरोप]] वालों को कच्चा माल प्राप्त करने तथा निर्मित माल बेचने के लिए अफ़्रीका की खोज करने की आवश्यकता पड़ी। शीघ्र ही पता चला कि यह [[हीरा]], [[सोना]], [[ताँबा]], एवं [[यूरेनियम]] का भण्डार-गृह है अतः इसके संसाधनों का दोहन आरम्भ हुआ। प्रायः सभी अफ़्रीकी देश यूरोपीय शक्तियों द्वारा अपने अधीन कर लिये गए। पारम्परिक उद्योगों को अपार क्षति हुई एवं अफ़्रीका की अर्थ व्यवस्था यूरोप केन्द्रित हो गई। किसानों को यूरोपीय उद्योगों के लिए कच्चा माल उगाने के लिए बाध्य कर दिया गया। घरेलू उद्योगों की अवनति होती गई। जलवायु एवं मिट्टी की भिन्नता के कारण अफ्रीका में भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जाती है। [[ज्वार]]-[[बाजरा]], [[गेहूँ]], [[कैसावा]], [[कपास]], [[मूँगफली]], [[कोको]], विभिन्न प्रकार के फल तथा कुछ मसाले जैसे- [[लौंग]] आदि अफ्रीका की मुख्य फसलें हैं। उष्णकटिबंध के निम्न भाग की मुख्य उपज चावल है। अफ्रीका का इतिहास भयंकर महामारियों जैसे [[मलेरिया]], एच. आई. वी, सैनिक विद्रोह , जातीय हिंसा आदि घटनाओं से भरा हुआ है ये भी इसकी वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
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! सन २००८ के तथ्य
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा सन [[२००३]] में प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में अफ्रीका ने २५ देशों की सूची में सबसे निचला स्थान प्राप्त किया है।
== राज्यक्षेत्र एवं भौगोलिक क्षेत्र ==
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[[चित्र:Pyramide Afrique du Sud.hindi.PNG|thumb|200px|left|दक्षिण अफ्रीका का जनसंख्या पिरामिड जो यह दर्शाता है की अधिकांश महिला एवं पुरुष ३० वर्ष से कम आयु के है]]
उत्तरी अफ्रीका के लोगों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है : बरबर और अरबी बोलने वाले पश्चिमी भाग के लोग और पूर्व में इथोपियन बोलने वाले। [[अरब]] लोग ७वी शताब्दी में अफ्रीका पहुँचे और इस्लाम एवं अरबी भाषा का प्रचार-प्रसार किया। इन के आलावा फोनेसियन, इरानी अलन, और यूरोपीय वन्दाल, यूनानी और रोमन लोग भी उत्तरी अफ्रीका में आ कर बस गए। उत्तरी अफ्रीका के अंदरूनी सहारा क्षेत्र में मुख्य रूप से तुअरेग और दूसरी ख़ानाबदोश जातियाँ निवास करती है।
यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौर में भारतीय उपमहाद्वीप से भी काफी लोग अफ्रीका आये। यह लोग मुख्यतया [[दक्षिण अफ्रीका]] और [[केन्या]] में बस गए। उपनिवेशवाद दौर के अंत के पूर्व अफ्रीका के सभी प्रान्तों में श्वेत लोग बहुतायत थे जो द्वितीय विश्व युद्घ के उपरांत धीरे-धीरे अपने देशो को लौट गए। आज श्वेत समुदाय के लोग दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बाबवे आदि देशों में अल्पसंख्यकों में गिने जाते है। दक्षिण अफ्रीका की कुल आबादी का ११ प्रतिशत लोग श्वेत हैं जो कि किसी भी अफ्रीकी देश से अधिक है।
== भाषा ==
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अफ़्रीकी लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार करते हैं
अफ्रीकी [[महाद्वीप]] में [[इस्लाम]] के अनुयायी पूरे महाद्वीप में फैले हुए हैं। इस धर्म की जड़ें [[पैगम्बर मुहम्मद]] के समय तक जाती हैं, जब उनके संबंधी एवं अनुयायी एबेसिनिया में [[अरब|पैगन अरब]] लोगों से अपनी जान बचाने आये थे। इस्लाम धर्म अफ़्रीका में सिनाई प्रायद्वीप एवं [[मिस्र]] के रास्ते आया। इसका पूर्ण सहयोग इस्लामिक अरब एवं फारसी व्यापारियों एवं नाविकों ने किया। इस्लाम उत्तरी अफ़्रीका एवं अफ़्रीका के सींग में प्रधान धर्म है। [[पश्चिमी अफ़्रीका]] के आंतरिक भागों एवं तटीय क्षेत्रों में और पूर्वी अफ़्रीका के तटीय क्षेत्रों में भी यह ऐतिहासिक एवं प्रधान धर्म है। यहां बहुत से मुस्लिम साम्राज्य रहे हैं। इस्लाम की द्रुत-प्रगति बीसवीं एवं इक्कीसवीं शताब्दियों तक होती आयी है। [[ईसाई धर्म]] यहां एक विदेशी धर्म ही रहा है। दूसरे स्थान पर ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। ईसाई धर्म यहां राजा एज़ाना के एक्ज़म राज्य का शाही धर्म ३३० ई में घोषित हुआ था। [[इथियोपिया]] में प्रथम शताब्दी में आया। यूरोपियाई सेलर, फ़्रुमेन्टियस ४३० ई में इथियोपिया आया, तब उसका स्वागत वहां के शासकों ने किया, जो इसाई नहीं थे। उसके अनुसार दस वर्ष बाद राजा सहित पूरी प्रजा ने ईसाई धर्म ग्रहण किया व राजधर्म घोषित हुआ। इसके अतिरिक्त [[यहूदी]] और [[हिंदू धर्म|हिन्दू धर्मों]] के अनुयायी भी यहाँ निवास करते हैं।यहूदी धर्म का यहाँ प्राचीन एवं समृद्ध इतिहास है। प्रमुख रूप से इथियोपिया के [[इज्राइल|बीटा इज़्रायल]], [[युगांडा]] के अब्युदय, [[घाना]] के हाउस ऑफ़ इज़्राइल, [[नाइजीरिया]] के इगबो यहूदी एवं दक्षिणी अफ़्रीका के लेम्बा लोग यहूदी धर्म का पालन करते हैं। हिन्दू धर्म का इतिहास यहां अत्यन्त अपेक्षाकृत नया है। हालाँकि इसके अनुयाइयों की उपस्थिति यहां [[साम्राज्यवाद|साम्राज्यवाद-काल]] से बहुत पहले, मध्यकाल से ही रही है। [[दक्षिण अफ़्रीका]] एवं पूर्व अफ़्रीकी तटीय देशों में हिन्दू जनसंख्या अधिक संख्या में निवास करती है।
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