"अफ़्रीका": अवतरणों में अंतर

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'''अफ़्रीका''' वा कालद्वीप, [[एशिया]] के बाद विश्व का सबसे बड़ा [[महाद्वीप]] है। यह ३७<sup>०</sup>१४' उत्तरी [[अक्षांश]] से ३४<sup>०</sup>५०' दक्षिणी अक्षांश एवं १७<sup>०</sup>३३' पश्चिमी [[देशान्तर]] से ५१<sup>०</sup>२३' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। <ref>{{cite book |last=तिवारी |first=विजय शंकर |title= आलोक भू-दर्शन |year=जुलाई २००४ |publisher=निर्मल प्रकाशन |location=कलकत्ता |id= |page=६७ |accessday= ७|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> अफ्रीका के उत्तर में [[भूमध्यसागर]] एवं [[यूरोप]] महाद्वीप, पश्चिम में [[अंध महासागर]], दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में [[अरब सागर]] एवं [[हिन्द महासागर]] हैं। पूर्व में स्वेज [[भूडमरूमध्य]] इसे [[एशिया]] से जोड़ता है तथा [[स्वेज नहर]] इसे [[एशिया]] से अलग करती है। [[जिब्राल्टर जलडमरूमध्य]] इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य [[मध्याह्न रेखा]] (०<sup>०</sup>)अफ्रीका महाद्वीप के [[घाना]] देश की राजधानी [[अक्रा]] शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और [[वर्षावन]] भी हैं। एक ओर [[सहारा|सहारा मरुस्‍थल]] है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त [[ज्वालामुखी]] भी है। [[युगांडा]], [[तंजानिया]] और [[केन्या]] की सीमा पर स्थित [[विक्‍टोरिया झील़]] अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी [[झील]]है। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी [[नील नदी|नील]] के पानी का स्रोत भी है।
 
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले [[मानव]] का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश [[द्वितीय विश्व युद्ध]] के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है।
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{{main|अफ़्रीका की भू-प्रकृति}}
[[चित्र:Amphitheatre Drakensberg View.jpg|thumb|right|200 px|[[ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत]] ]]
अफ्रीका ऊँचे [[पठारों]] का महाद्वीप है,<ref>{{cite book |last=पाण्डे |first=रामनारायण |title= भूगोल परिचय, भाग-२|year=जनवरी १९८१ |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=१६२-१७७ |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर [[चट्टानों]] से हुआ है। जर्मनी के प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता तथा भूशास्त्रवेत्ता अल्फ्रेड वेगनर ने पूर्व जलवायु शास्त्र, पूर्व वनस्पति शास्त्र, भूशास्त्र तथा भूगर्भशास्त्र के प्रमाणों के आधार पर यह प्रमाणित किया कि एक अरब वर्ष पहलें समस्त स्थल भाग एक स्थल भाग के रूप में संलग्न था एवं इस स्थलपिण्ड का नामकरण पैंजिया किया।<ref>{{cite book |last=सिहं |first=सविन्द्र |title= भौतिक भूगोल |year=जुलाई २००२ |publisher=वसुन्धरा प्रकाशन |location=गोरखपुर |id= |page=४७ |accessday= २६|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> कार्बन युग में पैंजिया के दो टुकड़े हो गये जिनमें से एक उत्तर तथा दूसरा दक्षिण में चला गया। पैंजिया का उत्तरी भाग लारेशिया तथा दक्षिणी भाग गोंडवाना लैंड को प्रदर्शित करता था। <ref>{{cite book |last=मामोरिया |first=चतुर्भुज |title= एशिया का भूगोल |year=जुलाई २००८ |publisher=साहित्य भवन |location=आगरा |id= |page=१८ |accessday= २६|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> अफ्रीका महादेश का धरातल प्राचीन [[गोंडवाना लैंड]] का ही एक भाग है। बड़े पठारों के बीच अनेक छोटे-छोटे पठार विभिन्न ढाल वाले हैं। इसके उत्तर में विश्व का बृहत्तम शुष्क मरुस्थल [[सहारा]] स्थित है।<ref>{{cite book |last=पाण्डेय |first=डाक्टर श्याम नारायण |title= माध्यमिक भूगोल शास्त्र, भाग-२ |year=जुलाई १९९६ |publisher=कमला पुस्तक भवन |location=कोलकाता |id= |page=१२४ |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> इसके नदी बेसिनों का मानव सभ्यता के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है, जिसमें [[नील नदी]] बेसिन का विशेष स्थान है। समुद्रतटीय मैदानों को छोड़कर किसी भी भाग की ऊँचाई ३२५ मीटर से कम नहीं है। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में [[एटलस पर्वत]] की श्रेणियाँ हैं, जो [[यूरोप]] के [[मोड़दार पर्वत]] [[आल्प्स पर्वतमाला]] की ही एक शाखा है। ये पर्वत दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैले हुए हैं और उत्तर की अपेक्षा दक्षिण में अधिक ऊँचे हैं। इसकी सबसे ऊँची चोटी जेबेल टूबकल है जिसकी ऊँचाई ४,१६७ मीटर है। यहाँ खारे पानी की कई झीलें हैं जिन्हें शॉट कहते हैं। मध्य का निम्न पठार भूमध्य रेखा के उत्तर पश्चिम में [[अन्ध महासागर]] तट से पूर्व में नील नदी की घाटी तक फैला हुआ है। इसकी ऊँचाई ३०० से ६०० मीटर है। यह एक पठार केवल मरुस्थल है जो सहारा तथा लीबिया के नाम से प्रसिद्ध है। यह प्राचीन पठार नाइजर, कांगो (जायरे), बहर एल गजल तथा चाड नदियों की घाटियों द्वारा कट-फट गया है। इस पठार के मध्य भाग में अहगर एवं टिबेस्टी के उच्च भाग हैं जबकि पूर्वी भाग में कैमरून, निम्बा एवं फूटा जालौन के उच्च भाग हैं। कैमरून के पठार पर स्थित कैमरून (४,०६९ मीटर) पश्चिमी अफ्रीका की सबसे ऊँचा चोटी है। [[कैमरून]] [[गिनि खाड़ी]] के समानान्तर स्थित एक शांत ज्वालामुखी है। पठार के पूर्वी किनारे पर [[ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत]] है जो समुद्र तट की ओर एक दीवार की भाँति खड़ा है। दक्षिणी-पश्चिमी भाग में [[कालाहारी मरुस्थल|कालाहारी]] का [[मरूस्थल]] है।
 
पूर्व एवं दक्षिण का उच्च पठार भूमध्य रेखा के पूर्व तथा दक्षिण में स्थित है तथा अपेक्षाकृत अधिक ऊँचा है। प्राचीन समय में यह पठार [[दक्षिण भारत]] के पठार से मिला था। बाद में बीच की भूमि के धँसने के कारण यह [[हिन्द महासागर]] द्वारा अलग हो गया। इस पठार का एक भाग [[अबीसिनिया]] में [[लाल सागर]] के तटीय भाग से होकर [[मिस्र]] देश तक पहुँचता है। इसमें [[इथोपिया]], [[पूर्वी अफ्रीका]] एवं [[दक्षिणी अफ्रीका]] के पठार सम्मिलित हैं। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में इथोपिया का पठार है। २,४०० मीटर ऊँचे इस पठार का निर्माण प्राचीनकालीन [[ज्वालामुखी]] के उद्गार से निकले हुए लावा हुआ है।<ref>{{cite book |last=प्रसाद |first=सुरेश |title= भौतिक और प्रादेशिक भूगोल |year=जुलाई १९८१ |publisher=भारती सदन |location=कोलकाता |id= |page=१०७-१२० |accessday= १९|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> नील नदी की कई सहायक नदियों ने इस पठार को काट कर घाटियाँ बना दी हैं। इथोपिया की पर्वतीय गाँठ से कई उच्च श्रेणियाँ निकलकर पूर्वी अफ्रीका के झील प्रदेश से होती हुई दक्षिण की ओर जाती हैं। इथोपिया की उच्च भूमि के दक्षिण में पूर्वी अफ्रीका की उच्च भूमि है। इस पठार का निर्माण भी ज्वालामुखी की क्रिया द्वारा हुआ है। इस श्रेणी में [[किलिमांजारो]] (५,८९५ मीटर), [[रोबेनजारो]] (५,१८० मीटर) और [[केनिया]] (५,४९० मीटर) की बर्फीली चोटियाँ [[भूमध्यरेखा]] के समीप पायी जाती हैं। ये तीनों ज्वालामुखी पर्वत हैं। किलिमंजारो अफ्रीका की सबसे ऊँचा पर्वत एवं चोटी है।
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{{legend|#7E8000|UMA}}
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प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होते हुए भी अफ्रीका विश्व का सबसे दरिद्र और सबसे अविकसित भू-भाग है। यातायात एवं तकनीकी का विकास न होने के कारण इन संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाया है। महाद्वीप की अधिकांश जनसंख्या आज भी अशिक्षित है, इसी से इस महाद्वीप को अन्ध महादेश भी कहते हैं। [[औद्योगिक क्रांति]] के कारण [[यूरोप]] वालों को कच्चा माल प्राप्त करने तथा निर्मित माल बेचने के लिए अफ़्रीका की खोज करने की आवश्यकता पड़ी। शीघ्र ही पता चला कि यह [[हीरा]], [[सोना]], [[ताँबा]], एवं [[यूरेनियम]] का भण्डार-गृह है अतः इसके संसाधनों का दोहन आरम्भ हुआ। प्रायः सभी अफ़्रीकी देश यूरोपीय शक्तियों द्वारा अपने अधीन कर लिये गए। पारम्परिक उद्योगों को अपार क्षति हुई एवं अफ़्रीका की अर्थ व्यवस्था यूरोप केन्द्रित हो गई। किसानों को यूरोपीय उद्योगों के लिए कच्चा माल उगाने के लिए बाध्य कर दिया गया। घरेलू उद्योगों की अवनति होती गई। जलवायु एवं मिट्टी की भिन्नता के कारण अफ्रीका में भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जाती है। [[ज्वार]]-[[बाजरा]], [[गेहूँ]], [[कैसावा]], [[कपास]], [[मूँगफली]], [[कोको]], विभिन्न प्रकार के फल तथा कुछ मसाले जैसे- [[लौंग]] आदि अफ्रीका की मुख्य फसलें हैं। उष्णकटिबंध के निम्न भाग की मुख्य उपज चावल है। अफ्रीका का इतिहास भयंकर महामारियों जैसे [[मलेरिया]], एच. आई. वी, सैनिक विद्रोह , जातीय हिंसा आदि घटनाओं से भरा हुआ है ये भी इसकी वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। <ref>Richard Sandbrook, The Politics of Africa's Economic Stagnation, Cambridge University Press, Cambridge, 1985 passim</ref>
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! सन २००८ के तथ्य <ref>[http://www.africaneconomicoutlook.org/en/data-statistics/ अफ्रीकी अर्थव्यवस्था आउटलुक]</ref>
 
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा सन [[२००३]] में प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में अफ्रीका ने २५ देशों की सूची में सबसे निचला स्थान प्राप्त किया है। <ref>[http://hdr.undp.org/], [[संयुक्त राष्ट्र]]</ref> सन् [[१९९५]] से [[२००५]] तक अफ्रीका की अर्थव्यवस्था में सुधार आया और वर्ष [[२००५]] के लिए यह औसतन ५ प्रतिशत रही। कुछ देश जैसे [[अंगोला]], [[सूडान]] और [[ईक्वीटोरियल गिनी]] जिन्होंने अपने पेट्रोलियम भंडारों अथवा पेट्रोलियम वितरण प्रणाली का विस्तार किया ने औसत से अधिक विकास दर दर्ज की। विगत कुछ वर्षों में [[चीन]] ने अफ्रीकी देशों में काफी निवेश किया है। सन [[२००७]] में चीनी उपक्रमों ने अफ्रीकी देशों में कुल १ बिलियन डॉलर का निवेश किया। <ref>[http://www.migrationinformation.org/Feature/display.cfm?id=690 China and Africa: Stronger Economic Ties Mean More Migration], By Malia Politzer, ''Migration Information Source'', August 2008</ref> [[दक्षिण अफ़्रीका]] भारत की तरह तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है पर यहाँ भी ग़रीबी, शिक्षा का अभाव और एचआईवी एड्स जैसी समस्याएँ हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2008/06/080609_south_africa_diary.shtml| title=सोने के शहर जोहानेसबर्ग में...|accessmonthday=[[२२ जुलाई]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=बीबीसी(हिन्दी)|language=}}</ref> इस सबके बावजूद अफ्रीका अपनी अमूल्य प्राकृतिक संपदा, पशु-पक्षियों की विविधता और विकसित होते नए नगरों के कारण पर्यटन का प्रमुख आकर्षण बना हुआ है।<ref>{{cite web |url=http://hi.tixik.com/c/africa-1/?pg=1| title=अफ्रीका गाइड|accessmonthday=[[३ अगस्त]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=तिक्षिक.कॉम|language=}}</ref> फोटोग्राफ़ी तथा जंगली पशुओं के शौकीनों का यह स्वर्ग है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=20701| title=तस्वीरों में रचता अफ्रीका का तिलिस्म|accessmonthday=[[३ अगस्त]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=हिंदी.बिजनेस-स्टैंडर्ड.कॉम|language=}}</ref> पूरी दुनिया से दक्षिण अफ्रीका जाने वाले पर्यटकों में २० प्रतिशत से अधिक भारत से आते हैं। यहाँ से भारत जाने वालों की संख्या भी लगभग बराबर ही है। बॉलीवुड के निर्माताओं को भी जोहान्सबर्ग, केपटाउन और डरबन का सौंदर्य काफी रास आ रहा है। गांधी और क्रिकेट ऐसे दो बिंदु हैं, जो दोनों देशों को आपस में जोड़ते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.amarujala.com/sundayAnand/detail.asp?id=357&sectionid=2&dt=8/31/2008| title=जहाँ हर पाँचवाँ पर्यटक भारतीय है |accessmonthday=[[३ अगस्त]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=संडेआनंद|language=}}</ref>
 
== राज्यक्षेत्र एवं भौगोलिक क्षेत्र ==
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[[चित्र:Pyramide Afrique du Sud.hindi.PNG|thumb|200px|left|दक्षिण अफ्रीका का जनसंख्या पिरामिड जो यह दर्शाता है की अधिकांश महिला एवं पुरुष ३० वर्ष से कम आयु के है]]
उत्तरी अफ्रीका के लोगों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है : बरबर और अरबी बोलने वाले पश्चिमी भाग के लोग और पूर्व में इथोपियन बोलने वाले। [[अरब]] लोग ७वी शताब्दी में अफ्रीका पहुँचे और इस्लाम एवं अरबी भाषा का प्रचार-प्रसार किया। इन के आलावा फोनेसियन, इरानी अलन, और यूरोपीय वन्दाल, यूनानी और रोमन लोग भी उत्तरी अफ्रीका में आ कर बस गए। उत्तरी अफ्रीका के अंदरूनी सहारा क्षेत्र में मुख्य रूप से तुअरेग और दूसरी ख़ानाबदोश जातियाँ निवास करती है।
यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौर में भारतीय उपमहाद्वीप से भी काफी लोग अफ्रीका आये। यह लोग मुख्यतया [[दक्षिण अफ्रीका]] और [[केन्या]] में बस गए। उपनिवेशवाद दौर के अंत के पूर्व अफ्रीका के सभी प्रान्तों में श्वेत लोग बहुतायत थे जो द्वितीय विश्व युद्घ के उपरांत धीरे-धीरे अपने देशो को लौट गए। आज श्वेत समुदाय के लोग दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, ज़िम्बाबवे आदि देशों में अल्पसंख्यकों में गिने जाते है। दक्षिण अफ्रीका की कुल आबादी का ११ प्रतिशत लोग श्वेत हैं जो कि किसी भी अफ्रीकी देश से अधिक है। <ref>[https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/sf.html#People South Africa: People: Ethnic Groups.] World Factbook of CIA</ref>
 
== भाषा ==
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अफ़्रीकी लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार करते हैं <ref name=stanford>[http://library.stanford.edu/africa/religion.html "इंटरनेट पर अफ़्रीकी धर्म "], स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय</ref> और इनके धार्मिक आस्था के आँकड़े एकत्र कर पाना बहुत ही मुश्किल है, क्योंकि ये कई आस्थाओं वाली मिश्रित जनसंख्या की सरकारों के लिए बहुत ही संवेदनशील विषय होता है।<ref name=NYT>{{cite web |url=http://query.nytimes.com/gst/fullpage.html?res=9C00EEDC1030F932A35752C1A9679C8B63&sec=&spon=&pagewanted=1 |date=१ नवम्बर, २००१ |title=राइज़िंग मुस्लिम पावर इन अफ़्रीका कॉज़ेज़ अनरेस्ट इन नाइजीरिया एण्ड एल्स्व्हेयर |first=नोरमित्सु |last=ओनिशी |publisher=द न्यू यॉर्क टाइम्स कंपनी |accessdate=१ मार्च, २००९}}</ref> वर्ल्ड बुक विश्वकोश के अनुसार अफ़्रीका का सबसे बड़ा मान्य धर्म [[इस्लाम]] है। इसके बाद यहाँ [[ईसाई]] आते हैं। [[ब्रिटैनिका विश्वकोश]] के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या का ४५% भाग [[मुस्लिम]] और ४०% [[ईसाई]] लोग हैं। १५% से कम लोग या तो नास्तिक हैं, या [[अफ़्रीकी धर्म|अफ़्रीकी धर्मों]] को मानने वाले हैं।<ref>[http://www.thearda.com/internationalData/byregion.asp द असोसियेशन ऑफ रिलीजियस डाटा आर्कीव्स], सोशियोलॉजी विभाग, पेन्निसिल्वेनिया विश्वविद्यालय. २००६ क्षेत्रीय आंकड़े ये धर्म सं.राष्ट्र के मानक नहीं हैं। उदा० पूर्वी अफ़्रीका में [[पूर्वी अफ्रीका]] के अधिकांश राष्ट्र हैं, साथ ही [[ज़िम्बाब्वे]], [[मैडागास्कर, [[मोजाम्बीक]] और [[जाम्बिया]] भी हैं। [[अंगोला]] को [[मध्य अफ़्रीका]] में डाला हुआ है और यहां दक्षिणी अफ़्रीका, संरा. के दक्षिणी अफ़्रीका से बहुत छोटा है। जनसंख्या के आंकडे धार्मिक आस्था का प्रतिशत हैं, एवं विभिन्न स्रोतों से लेकर ए.आर.डी.ए. द्वारा एकसाथ मिलाए गए हैं।</ref> एक बहुत ही छोटा प्रतिशत [[हिन्दू|हिन्दुओं]], [[बहाई मत|बहाई लोगों]] और [[यहूदी धर्म|यहूदियों]] को जाता है। यहूदियों के क्षेत्र यहाँ बीटा इज़्राइल, लेम्बा लोग और [[युगांडा|पूर्वी युगांडा]] के अबयुदय हैं।
 
अफ्रीकी [[महाद्वीप]] में [[इस्लाम]] के अनुयायी पूरे महाद्वीप में फैले हुए हैं। इस धर्म की जड़ें [[पैगम्बर मुहम्मद]] के समय तक जाती हैं, जब उनके संबंधी एवं अनुयायी एबेसिनिया में [[अरब|पैगन अरब]] लोगों से अपनी जान बचाने आये थे। इस्लाम धर्म अफ़्रीका में सिनाई प्रायद्वीप एवं [[मिस्र]] के रास्ते आया। इसका पूर्ण सहयोग इस्लामिक अरब एवं फारसी व्यापारियों एवं नाविकों ने किया। इस्लाम उत्तरी अफ़्रीका एवं अफ़्रीका के सींग में प्रधान धर्म है। [[पश्चिमी अफ़्रीका]] के आंतरिक भागों एवं तटीय क्षेत्रों में और पूर्वी अफ़्रीका के तटीय क्षेत्रों में भी यह ऐतिहासिक एवं प्रधान धर्म है। यहां बहुत से मुस्लिम साम्राज्य रहे हैं। इस्लाम की द्रुत-प्रगति बीसवीं एवं इक्कीसवीं शताब्दियों तक होती आयी है। [[ईसाई धर्म]] यहां एक विदेशी धर्म ही रहा है। दूसरे स्थान पर ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। ईसाई धर्म यहां राजा एज़ाना के एक्ज़म राज्य का शाही धर्म ३३० ई में घोषित हुआ था। [[इथियोपिया]] में प्रथम शताब्दी में आया। यूरोपियाई सेलर, फ़्रुमेन्टियस ४३० ई में इथियोपिया आया, तब उसका स्वागत वहां के शासकों ने किया, जो इसाई नहीं थे। उसके अनुसार दस वर्ष बाद राजा सहित पूरी प्रजा ने ईसाई धर्म ग्रहण किया व राजधर्म घोषित हुआ। इसके अतिरिक्त [[यहूदी]] और [[हिंदू धर्म|हिन्दू धर्मों]] के अनुयायी भी यहाँ निवास करते हैं।यहूदी धर्म का यहाँ प्राचीन एवं समृद्ध इतिहास है। प्रमुख रूप से इथियोपिया के [[इज्राइल|बीटा इज़्रायल]], [[युगांडा]] के अब्युदय, [[घाना]] के हाउस ऑफ़ इज़्राइल, [[नाइजीरिया]] के इगबो यहूदी एवं दक्षिणी अफ़्रीका के लेम्बा लोग यहूदी धर्म का पालन करते हैं। हिन्दू धर्म का इतिहास यहां अत्यन्त अपेक्षाकृत नया है। हालाँकि इसके अनुयाइयों की उपस्थिति यहां [[साम्राज्यवाद|साम्राज्यवाद-काल]] से बहुत पहले, मध्यकाल से ही रही है। [[दक्षिण अफ़्रीका]] एवं पूर्व अफ़्रीकी तटीय देशों में हिन्दू जनसंख्या अधिक संख्या में निवास करती है।