"अधिक मास": अवतरणों में अंतर
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[[सौर वर्ष]] और [[चांद्र वर्ष]] में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चान्द्रमास की वृद्धि कर दी जाती
सौर-वर्ष का मान ३६५ दिन , १५ घड़ी , २२ पल और ५७ विपल
वास्तव में यह स्थिति स्वयं ही उत्त्पन्न हो जाती है , क्योंकि जिस चंद्रमास में सूर्य-संक्रांति नहीं पड़ती , उसी को "अधिक मास" की संज्ञा दे दी जाती है तथा जिस चंद्रमास में दो सूर्य संक्रांति का समावेश हो जाय , वह "क्षयमास" कहलाता
== बाहरी कड़ियाँ ==
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