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[[चित्र:Ravi Varma-Shakuntala.jpg|right|thumb|200px|हताश शकुंतला<br />[[राजा रवि वर्मा]] की कृति.]]
 
'''अभिज्ञान शाकुन्तलम्''' [[कालिदास|महाकवि कालिदास]] का विश्वविख्यात [[नाटक]] है ‌जिसका [[अनुवाद]] प्राय: सभी विदेशी भाषाओं में हो चुका है। इसमें राजा [[दुष्यन्त]] तथा [[शकुन्तला]] के प्रणय, विवाह, विरह, प्रत्याख्यान तथा पुनर्मिलन की एक सुन्दर कहानी है ।है। पौराणिक कथा में दुष्यन्त को आकाशवाणी द्वारा बोध होता है पर इस नाटक में कवि ने मुद्रिका द्वारा इसका बोध कराया है।
 
इसकी नाटकीयता, इसके सुन्दर कथोपकथन, इसकी काव्य-सौंदर्य से भरी उपमाएँ और स्थान-स्थान पर प्रयुक्त हुई समयोचित सूक्तियाँ; और इन सबसे बढ़कर विविध प्रसंगों की ध्वन्यात्मकता इतनी अद्भुत है कि इन दृष्टियों से देखने पर [[संस्कृत]] के भी अन्य नाटक अभिज्ञान शाकुन्तल से टक्कर नहीं ले सकते; फिर अन्य भाषाओं का तो कहना ही क्या !