"अल्गोरिद्म": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
प्राचीन संस्कृत गणित ग्रन्थों में बहुत से अलगोरिद्म श्लोक के रूप में दिए गए हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित कलनविधि धनात्/ऋणात्मक संख्याओं के गुणन/भाजन का नियम बताता है-
: स्वयोरस्वयो स्‍वम् वध: स्वर्णघाते ।स्वर्णघाते।
: क्षयो भागहारे अपि चैवम् निरुक्तम् ।।निरुक्तम्।।
 
'''अन्वय''' - स्वयो: (+*+), अस्वयो: (-*-) वध: स्वम् (+) (भवति|) स्व-ऋण-घाते (+*-)
वध: क्षय: (-) (भवति)| भागहारे (/) अपि च एवम् निरुक्तम् ।निरुक्तम्।
 
'''अर्थ''' : दो धनात्मक या दो ऋणात्मक संख्याओं का गुणनफल धनात्मक होता है। धनात्मक ऋणात्मक संख्याओं का गुणन ऋणात्मक होता है। यही बात भाजन (division) पर भी लागू होती है।