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केतु के अधीन आने वाले जातक जीवन में अच्छी ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश आध्यात्मिक ऊंचाईयों पर होते हैं। केतु की पत्नी सिंहिका और विप्रचित्ति में से एक के एक सौ एक पुत्र हुए जिनमें से राहू ज्येष्ठतम है एवं अन्य केतु ही कहलाते हैं।
=== कुण्डली में केतु ===
जातक की जन्म-कुण्डली में विभिन्न भावों में केतु की उपस्थिति भिन्न-भिन्न प्रभाव दिखाती हैं। <ref>[http://hindi.webdunia.com/religion-astrology-article/कुंडली-के-बारह-भाव-में-केतु-का-फल-1120310106_1.htm कुंडली के बारह भाव में केतु का फल]|वेबदुनिया-हिन्दी।अभिगमन तिथि: ०४ अक्तूबर, २०१२</ref>
 
* प्रथम भाव में अर्थात लग्न में केतु हो तो जातक चंचल, भीरू, दुराचारी होता है। इसके साथ ही यदि [[वृश्चिक राशि]] में हो तो सुखकारक, धनी एवं परिश्रमी होता है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/केतु" से प्राप्त