"खेजड़ी": अवतरणों में अंतर

छो Bot: Migrating 9 interwiki links, now provided by Wikidata on d:q1136117 (translate me)
छो सन्दर्भ की स्थिति ठीक की।
पंक्ति 14:
== साहित्यिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व ==
[[चित्र:Jhand (Prosopis cineraria) at Hodal W IMG 1191.jpg|thumb|200px|left|खेजड़ी का वृक्ष]]
[[राजस्थानी|राजस्थानी भाषा]] में [[कन्हैयालाल सेठिया]] की कविता ''''मींझर'''' बहुत प्रसिद्द है है। यह थार के रेगिस्तान में पाए जाने वाले वृक्ष '''खेजड़ी''' के सम्बन्ध में है। इस कविता में खेजड़ी की उपयोगिता और महत्व का सुन्दर चित्रण किया गया है। <ref>{{cite web |url= http://wikisource.org/wiki/खेजड़लो/कन्हैयालाल सेतिया|title=खेजड़लो/कन्हैयालाल सेतिया|accessmonthday=[[१६ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=विकिस्रोत|language=}}</ref> दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा भी है|<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/religion/occasion/vijayadashami/0710/19/1071019029_1.htm|title=शमी पूजन|accessmonthday=[[१६ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएम|publisher=वेबदुनिया|language=}}</ref> रावण दहन के बाद घर लौटते समय शमी के पत्ते लूट कर लाने की प्रथा है जो स्वर्ण का प्रतीक मानी जाती है। इसके अनेक औषधीय गुण भी है। पांडवों द्वारा अज्ञातवास के अंतिम वर्ष में गांडीव धनुष इसी पेड़ में छुपाए जाने के उल्लेख मिलते हैं। इसी प्रकार लंका विजय से पूर्व भगवान राम द्वारा शमी के वृक्ष की पूजा का उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5056467.cms|title=रावण को हराने के लिए राम ने किया था सूर्य का ध्यान
|accessmonthday=[[१६ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=सीएमएस|publisher=नवभारत टाइम्स|language=}}</ref> शमी या खेजड़ी के वृक्ष की लकड़ी यज्ञ की समिधा के लिए पवित्र मानी जाती है। वसन्त ऋतु में समिधा के लिए शमी की लकड़ी का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार वारों में शनिवार को शमी की समिधा का विशेष महत्त्व है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.awgp.org/?gayatri/sanskritik_dharohar/yagya_gyan_vigyan/gayatri_yagya_vidhan/samidhayen/|title=समिधाएँ
|accessmonthday=[[१६ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=गायत्री परिवार|language=}}</ref>