"गंगा के बाँध एवं नदी परियोजनाएँ": अवतरणों में अंतर
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===फ़रक्का बांध (बैराज)===
[[चित्र:farakka_map.jpg|thumb|गंगा के चरम उत्कर्ष रूप; [[फरक्का बैराज]], जहां से एक धारा [[कोलकाता]] को हुगली बन कर जाती है।]]
फ़रक्का बांध (बैराज) भारत के [[पश्चिम बंगाल]] प्रान्त मे स्थित [[गंगा नदी]] पर बना एक बांध है। यह बांध [[बांगलादेश]] की सीमा से मात्र १० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।<ref>{{cite book |title=Bangladesh : a country study |publisher=Federal Research Division |year=१९८९ |location=Washington, D.C. |url=http://lcweb2.loc.gov/frd/cs/bdtoc.html |accessdate=2007-01-10 |page=306}}</ref> इस बांध को १९७४-७५ मे [[हिन्दुस्तान कन्स्ट्रक्शन कंपनी]] ने बनाया था। इस बांध का निर्माण [[कोलकाता]] बंदरगाह को गाद (''silt'') से मुक्त कराने के लिये किया गया था जो की १९५० से १९६० तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी। कोलकाता [[हुगली]] नदी पर स्थित एक प्रमुख बंदरगाह है। ग्रीष्म ऋतु मे हुगली नदी के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये गंगा नदी की के पानी के एक बड़े हिस्से को फ़रक्का बांध के द्वारा हुगली नदी मे मोड़ दिया जाता है। इस पानी के वितरण के कारण बांगलादेश एवम भारत मे लंबा विवाद चला। गंगा नदी के प्रवाह की कमी के कारण बांगलादेश जाने वाले पानी की लवणता बड़ जाती थी और मछ्ली पालन, पेयजल, स्वास्थ और नौकायन प्रभावित हो जाता था। मिट्टी मे नमी की कमी के चलते बांगलादेश के एक बड़े क्षेत्र की भूमी बंजर हो गयी थी। इस विवाद को सुलझाने के लिये दोनो सरकारो ने आपस मे समझौता करते हुए फ़रक्का जल संधि की रूपरेखा रखी।
=== टिहरी बाँध ===
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[[टिहरी बाँध]] टिहरी विकास परियोजना का एक प्राथमिक बांध है जो की [[उत्तराखंड]] प्रान्त के [[टिहरी जिला|टिहरी]] मे स्थित है। यह बांध [[गंगा नदी]] की प्रमुख साहयोगी नदी [[भागीरथी]] पर बनाया गया है। टेहरी बांध की ऊचाई २६१ मीटर है जो इसे विश्व का पाँचवा सबसे ऊंचा बांध बनाती है। इस बांध से २४०० मेगा वाट विद्युत उत्पादन, २७०,००० हेक्टर क्षेत्र की सींचाई और प्रतिदिन १०२.२० करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवम उत्तरांचल को उपलब्ध कराना प्रस्तावित है।
=== भीमगोडा बांध ===
भीमगोडा बांध [[हरिद्वार]] मे स्थित है। इस बांध को सन १८४० मे अंग्रेजो ने गंगा नदी के पानी को विभाजित कर उपरी गंगा नहर मे मोड़ने के लिये बनवाया था। यह बांध गंगा के जल मार्ग के लिये बहुत ही घातक सिद्ध हुआ। बांध के निर्माण के पूर्व ईस्ट इन्डिया कंपनी के जल पोत टिहरी जैसे उचाई पर स्थित शहरों तक आ सकते थे।
== संदर्भ ==
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