"आत्मा": अवतरणों में अंतर

छो पूर्ण विराम की स्थिति ठीक की।
छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
पंक्ति 24:
परमत्मा के गुन है ग्यान के सागर, प्रेम के सागर, पवित्रता के सागर,शान्ति के सागर,सुख के सागर,आन्नद के सागर,एव सर्व शाक्तिमान
है
आत्मा जन्म-मरन मै आती है परमात्मा जन्म- मरन मे नहि आते , आत्मा पूरे कल्प मे ८४ जन्मो क पार्ट बजाना होता है
कल्प चार युगो का होता है सतयुग.त्रेता,द्वापुर एव कलयुग
== स्रोत ==
पंक्ति 35:
पार्थ सूर्य ब्रह्माण्ड को, ज्योर्तिमय कर देत
वैसे ही यह आत्मा, क्षेत्र ज्योति भर देत।। 33-13।
आत्मा-जिस प्रकार सूर्य इस सम्पूर्ण सौर मण्डल को प्रकाशित करता है अर्थात सूर्य के कारण संसार है , जीवन है आदि उसी प्रकार एक आत्मा सम्पूर्ण क्षेत्र को जीवन देता है, ज्ञानवान बना देता है क्रियाशील बना देता है।
ज्ञान-जिस प्रकार सूर्य इस सम्पूर्ण सौर मण्डल को प्रकाशित करता है अर्थात सूर्य के कारण संसार है, जीवन है आदि उसी प्रकार ज्ञान सम्पूर्ण क्षेत्र को जीवन देता है, ज्ञानवान बना देता है क्रियाशील बना देता है।
1. सृष्टि का मूल तत्व आत्मतत्व है वही सत् है, वही नित्य है, सदा है। सृष्टि का मूल तत्व ज्ञान है वही सत् है, वही नित्य है, सदा है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आत्मा" से प्राप्त