"आनन्द": अवतरणों में अंतर
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== तंत्रिका जीव विज्ञान ==
सुख की अनुभूति का केंद्र मस्तिष्क संरचना में एक समुच्चय है, मुख्यतः यह नाभिकीय अकुम्बेंस है जो सिद्धांत के अनुसार विद्युत्तीय तरंगो द्वारा उत्तेजित होने पर अत्याधिक सुख उत्पन्न करता है. कुछ संदर्भ यह उल्लेख करते हैं कि सेप्टम पेल्लुसिदियम (septum pellucidium) ही आम तौर पर सुखद अनुभूति का केंद्र है<ref>{{cite book|author=Walsh, Anthony|title=The Science of Love – Understanding Love and its Effects on Mind and Body|publisher=Prometheus Books|year=1991| isbn=0-87975-648-9}}</ref>, जबकि अन्य परस्पर अन्तः करोति मष्तिष्क उत्तेजना और सुखद अनुभूति के केंन्द्र का जिक्र होने पर हाइपोथेलेमस (hypothalamus) का उल्लेख करते हैं.<ref>कैनडेल ईआर (ER), श्वार्ट्ज (Schwartz) जेएच (JH), जेसेल टीएम (TM). ''प्रिंसिपल्स ऑफ़ न्यूरल साइंस''
== आनंद एक अद्वितीय मानव अनुभव ==
इस पर विवाद रहा है कि सुख की अनुभूति का एहसास दूसरे पशु भी करते हैं या यह सर्वथा मानव जाति का ही गुणधर्म है. दूसरी ओर [[जेरेमी बेन्थम]](जो आमतौर पर [[उपयोगितावाद]] के संस्थापक के रूप में माने जाते हैं)<ref name="Bentham">{{cite book | title = An Introduction to the Principles of Moral Legislation | year = 1996 | last = Bentham | first = Jeremy | authorlink = Jeremy Bentham |publisher = [[Oxford University Press]] | location = Oxford | isbn = 978-0-19-820516-6 | url = http://www.la.utexas.edu/research/poltheory/bentham/ipml/ipml.toc.html}}</ref> और बेथ डिक्सन<ref>नीति और पर्यावरण, खंड 6, संख्या 2, ऑटम 2001, पीपी. 22-30, इंडियाना यूनिवर्सिटी प्रेस, [http://muse.jhu.edu/login?uri=/journals/ethics_and_the_environment/v006/6.2dixon.html जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी प्रेस], इन्हें भी देखें: पशुओं में मनोभाव</ref> इस तर्क से सहमत हैं हालांकि वह बात सतर्कता से कहते हैं. जो लोग मानव अपवाद में विश्वास करतें हैं उनका यह मानना है की सगुणवाद में
== स्वपीड़ासक्ति ==
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