"इलेक्ट्रॉन": अवतरणों में अंतर

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आइरिस भौतिकविद [[जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी]] ( George Johnstone Stoney ) ने १८९४ में '''एलेक्ट्रों''' नाम का सुझाव दिया था। '''विद्युदणु''' की कण के रुप में पहचान १८९७ में [[जे जे थॉमसन]] ( J J Thomson ) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी।
 
कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-[[विध्युत]] , [[चुम्बकत्व]] , [[उष्मा]] चालकता में '''विद्युदणु''' की अहम भूमिका होती है। जब '''विद्युदणु''' त्वरित होता है तो यह [[फोटान]] के रुप में[[ऊर्जा]] का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।[[प्रोटॉन]] व [[न्यूट्रॉन]] के साथ मिलकर यह्[[परमाणु]] का निर्माण करता है।[[परमाणु]] के कुल [[द्रव्यमान]] में '''विद्युदणु''' का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। '''विद्युदणु''' और [[प्रोटॉन]] के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल ( coulomb force )के कारण '''विद्युदणु''' परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते है।
 
[[ब्रह्माण्ड]] में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण [[बिग बैंग सिद्धांत|बिग-बैंग]] के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक ( radioactive isotope ) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो ( cosmic ray ) के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।